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झारखंड कांग्रेस में बदलाव की आहट तेज

राज्य में तूफानी मौसम के बीच राजनीतिक बवंडर की आशंका

  • आरपीएन सिंह ने बनाया था अध्यक्ष

  • अविनाश पांडेय भी तालमेल नहीं बना सके

  • वरीय नेताओं ने आलाकमान को इसकी सूचना दी है

राष्ट्रीय खबर

रांचीः रामगढ़ चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की हार के बाद से ही प्रदेश नेतृत्व में परिवर्तन की मांग होने लगी थी। इसी क्रम में अब लगता है कि प्रदेश अध्यक्ष और उनकी टीम के साथ साथ प्रदेश प्रभारी को भी बदला जा सकता है। दिल्ली से मिल रही सूचनाओं के मुताबिक झारखंड कांग्रेस के कई नेताओं ने दिल्ली जाकर केंद्र के नेताओं से अलग अलग मुलाकात की है।

इनलोगों ने वर्तमान परिस्थिति और संगठन की स्थिति के बारे में अपनी राय दी थी। मिलने वालों ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे और महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी भेंट की थी। इसके अलावा राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में भी वरिष्ठ नेताओं ने अलग अलग दिन शिरकत की थी।

पार्टी के नेताओं की शिकायत में वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष पर पूरी तरह भरोसा नहीं होना ही सबसे नेगेटिव बात रही है। दरअसल वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को पूर्व प्रभारी आरपीएन सिंह ने ही अध्यक्ष बनाया था। उस वक्त खुद आरपीएन सिंह ही पार्टी के चहेते नेता था।

यह फैसला तब लिया गया था जब पार्टी के कई अनुभवी नेताओं ने आरपीएन सिंह ने ऐसा फैसला नहीं लेने की सलाह दी थी। बाद में पार्टी के प्रत्याशियों के चुनाव में आरपीएन सिंह के रवैये को देखकर पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेता सतर्क हो गये थे। उस वक्त ही यह चर्चा जोर पकड़ने लगी थी कि शायद आरपीएन सिंह कोई और खेल खेल रहे हैं। यह बाद में स्पष्ट हो गया जब वह अचानक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये।

इधर राजेश ठाकुर के अध्यक्ष बने रहने की वजह से वरीय नेताओं ने वहां के मजबे का हाल देखकर नियमित तौर पर प्रदेश कार्यालय आना भी छोड़ दिया है।

अब खबर आ रही है कि झारखंड के प्रभारी बनाये जाने के बाद अविनाश पांडेय भी यहां के कद्दावर नेताओँ से सही तालमेल नहीं बैठा सके। इसका नतीजा है कि अब उनके रांची आने की स्थिति में बुलाये जाने पर ही बड़े नेता वहां पहुंचते हैं।

दरअसल दिल्ली के घटनाक्रमों की जानकारी रखने वाले कई सूत्रों ने संकेत दिया कि खुद अविनाश पांडेय का भी राजनीतिक कद, झारखंड के कई स्थापित नेताओं के मुकाबले बहुत छोटा है। इस वजह से अब पार्टी को नये सिरे से पुनर्जीवित करने के लिए दोनों को बदलने पर चर्चा प्रारंभ हुई है। वैसे ठाकुर समर्थकों का कहना है कि यह दरअसल पार्टी विरोधियों की चाल है और इससे पार्टी को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।

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