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वीडियो, बरकट्ठा जंगल में अभी आराम फरमा रहा है बाघ

वन विभाग के अधिकारी अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं


  • पहले नेशनल पार्क में शिकार किया था

  • शायद पन्ना अभयारण्य का कन्हैया है

  • पलामू और चतरा होते हुए इधर आया


राष्ट्रीय खबर

रांचीः विशाल आकार का रॉयल बंगाल टाईगर अभी हजारीबाग के बरकट्ठा के इलाके में ही ठहरा हुआ है। आम तौर पर बाघ प्राकृतिक तौर पर दिन में चालीस किलोमीटर तक का दायरा तय करता है। इसमें उसका अपना इलाका होता है। हजारीबाग में जिस बाघ के होने की जानकारी मिली  है, वह लंबे समय से चलता जा रहा है।

दूसरे शब्दों में उसे एक घुमंतू माना जा रहा है। वैसे ऐसे बाघों के बहुत दूर तक निकल जाने की पूर्व जानकारी भी है। पश्चिम बंगाल के इलाके में रहने वाला एक बाघ अचानक सुंदरवन के जंगलों से होते हुए खाड़ी तैरकर बांग्लादेश चला गया था। उस पर लगे रेडियो कॉलर की वजह से इसकी पुष्टि हुई है।

देखें उस बाघ का वीडियो

हजारीबाग के इलाके में पहुंचने के पहले यह बाघ पलामू के बाद चतरा होते हुए यहां तक आ पहुंचा है। पहले यह हजारीबाग नेशनल पार्क के इलाके में दो दिनों तक रूका हुआ था। अब उसके बरकट्ठा में होने की पुष्टि हुई है। इस बीच पता चल रहा है कि यह रॉयल बंगाल टाईगर मूल रूप से मध्यप्रदेश के जंगलों से निकला है।

वह अपने घूमने की आदत की वजह से बांधवगढ़ नेशनल पार्क भी गया था। मध्यप्रदेश के वन विभाग के मुताबिक अगर यह बाघ आकार में काफी बड़ा है तो वह पन्ना के जंगल का कन्हैया हो सकता है।

वहां के अधिकारियों ने इस कन्हैया नामक बाघ को वहां पिछले डेढ़ महीनो से नहीं देखा है। हजारीबाग के इलाकों में गीली मिट्टी पर इसके पंजों के जो निशान दर्ज किये गये हैं, उसके आधार पर विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि इतने बड़े आकार के रॉयल बंगाल टाईगर देश में बहुत कम ही है। इसके वजन के बारे में अनुमान है कि यह करीब तीन सौ  किलो वजन का है।

हजारीबाग नेशनल पार्क में कुछ वन्य जीवों का शिकार होने के बाद ही विभाग के जानकारों का दिमाग ठनका था। जिस तरीके से यह शिकार किया गया था, वह बताता था कि यह किसी बड़े आकार के बाघ का ही हमला था। उसके बाद से निरंतर सतर्कता बरती जा रही है।

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