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एक अनार सौ बीमार, भाजपा को लगा बुखार

रांची सीट के लिए अभी से जारी है अंदर का महाभारत


  • प्रदीप वर्मा संघ से जुड़े व्यक्ति हैं

  • रमेश सिंह सामाजिक संगठनों के हैं

  • भैरव सिंह को विहिप का समर्थन प्राप्त


राष्ट्रीय खबर

रांचीः फिलहाल विधानसभा चुनाव करीब नहीं होने के बाद भी रांची सीट पर दावेदारी का खेल तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के अंदर एक साथ कई दावेदार उभर रहे हैं। सभी ने अपने अपने स्तर पर तैयारियां भी प्रारंभ कर दी है और शहर के सामाजिक समारोहों के जरिए अपनी दमदार मौजूदगी दर्शाने में जुटे हैं। दूसरी तरफ वर्तमान विधायक सीपी सिंह ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं जबकि रांची सीट के लिए सभी दलों को मिलाकर वह सबसे धाकड़ नेता है, जिनकी पकड़ इतने वर्षों में साल दर साल मजबूत होती चली गयी है।

भारतीय जनता पार्टी में रांची सीट के लिए जिन दो नामों की चर्चा भाजपा के अंदर होती रहती है, उनमें प्रदीप वर्मा और रमेश सिंह प्रमुख हैं। प्रदीप वर्मा पार्टी संगठन के बड़े नेताओं के लिए परिचित नाम है और संघ के कई कार्यक्रमों का आयोजन उन्होंने किया है। इस वजह से पार्टी और संघ के शीर्ष नेताओं के बीच उनकी पहचान अच्छी है। इसी क्रम में उन्होंने पार्टी के अंदर भी अनेक लोगों को नाराज कर रखा है, जो अंदर ही अंदर उनके लिए खाई खोदने का काम करते रहते हैं।

दूसरी तरफ बिल्डर रमेश सिंह ने हाल के वर्षों में तेजी से अपना नाम आगे बढ़ाया है। विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ जुड़कर तथा शहर के धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेकर वह अब स्थानीय स्तर पर एक परिचित सामाजिक व्यक्ति है। पार्टी के अंदर भी उनके परिचय का दायरा निरंतर बढ़ता गया है। इसलिए उनके समर्थक भी आगामी चुनाव में रमेश सिंह को एक सशक्त दावेदार मान रहे हैं। लेकिन पार्टी मुख्यालय में एक वर्ग उनके विरोध में लगातार खड़ा है, जो अन्य नेताओं को भड़काते रहते हैं।

इन दोनों प्रमुख दावेदारों के बीच उग्र हिंदूवादी सोच रखने वाले अब भैरव सिंह को भी रांची सीट के लिए प्रमुख प्रत्याशी बताने में पीछे नहीं हटते। उनके लिए गुलशन आजमानी का रांची से विधायक बनने का रिकार्ड एक ऊर्जा का  काम कर रहा है। दरअसल भैरव सिंह के नाम की चर्चा हरमू के किशोरगंज चौक पर मुख्यमंत्री के काफिले को रोकने के लिए होने लगी थी। इसके बाद एक खास वर्ग ने उसे हिंदू समुदाय ने नये सेनापति के तौर पर प्रस्तुत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विहिप के चंद नेताओं ने भी इस सोच को आगे बढ़ाया है।

इसके अलावा भी रांची सीट पर दावेदारी ठोंकने वालों में पूर्व उप महापौर संजीव विजयवर्गीय जैसे कई अन्य नाम हैं, जो अंदरखाने से अपनी दावेदारी को आगे बढ़ाना चाहते हैं। दरअसल ऐसी सक्रियता इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि भाजपा के अंदर से यह चर्चा तेज की जा रही है कि वर्तमान सरकार का कभी भी पतन हो सकता है।

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