मनोरंजनराजनीतिसंपादकीय

जैसे को तैसा मिला, कैसा मजा आया .. .. ..

जैसे को तैसा मिला है यानी सुभाष चंद्र बोस वाली हरकत। एक गाल पर चांटा खाकर दूसरा गाल आगे नहीं करते हैं। हर रोज दिल्ली नगर निगम का यह हाल दिख रहा है। लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि पहले मामला एकतरफा था और अब दोनों तरफ से लात, मुक्के, बोतल, कागज चल रहे हैं।

नई नई मेयर बनी शैली ओबेराय को दौड़कर भागते हुए भी देखा गया है। भाजपा की परेशानी तो समझ में आती है लेकिन राज यह भी खुल रहा है कि दरअसल दिल्ली नगर निगम के कई अधिकारी और कर्मचारी भी नहीं चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी इस स्टैंडिंग कमेटी में जीत जाए।

घोषणा के बाद जो परिणाम वापस लिये गये हैं, उसके मुताबिक आम आदमी पार्टी को अधिक वोट मिले थे। लेकिन मसला को सदन के भीतर के बाहुबल के प्रदर्शन का है। अब भाजपा पार्षदों को इस बात का एहसास हो रहा है कि यह सबसे नई पार्टी भी पलटकर उसी की भाषा में जबाव भी दे सकती है।

इतनी झंझट के बाद भी जो कुछ बनेगा वह सिर्फ चार महीने का होगा, इससे स्पष्ट है कि किसका कितना हित जुड़ा है और क्या कुछ दांव पर लगा है। दिल्ली सरकार को उप राज्यपाल के जरिए टाइट करने का दांव फेल कर जाने के बाद अपने लोगों को बचाने और ठेकेदारी चालू रखने के लिए कोई तो जरिया चाहिए।

इसी बात पर वर्ष 1973 में बनी फिल्म जैसे को तैसा फिल्म का टाईटल गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था राहुल देव वर्मन ने। इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था जबकि फिल्म में इसे उस जमाने के सुपरहिट हीरो जीतेंद्र पर फिल्माया गया था। गीत के बोल इस तरह हैं।

जैसे को तैसा मिला कैसा मज़ा आया

मारूं के छोड़ू तेरी टांगे तोड़ू बता तेरी मरजी है क्या

जैसे को तैसा मिला कैसा मज़ा आया

मारूं के छोड़ू तेरी टांगे तोड़ू बता तेरी मरजी है क्या बोल

जैसे को तैसा मिला कैसा मज़ा आया

मारूं के छोड़ू तेरी टांगे तोड़ू बता तेरी मरजी है क्या

मुजरिम तेरा नाम है तुझपे ये इल्जाम है

सीधे साधे भोले भाले लोगो को सताना तेरा काम है

मुजरिम तेरा नाम है तुझपे ये इल्जाम है

सीधे साधे भोले भाले लोगो को सताना तेरा काम है

ये खता है तेरी ये दग़ा है तेरी

तू आगे भागे तो मै पीछे दौड़ू बता तेरी मरजी है क्या उ

जैसे को तैसा मिला कैसा मज़ा आया

मारूं के छोड़ू तेरी टांगे तोड़ू बता तेरी मरजी है क्या

कुछ जानते वो नहीं पहचानते वो नहीं

लातो के जो भूत होते है बातो से तो मानते वो नहीं

कुछ जानते वो नहीं पहचानते वो नहीं

लातो के जो भूत होते है बातो से तो मानते वो नहीं

आ गयी वो घडी बोल कैसी पड़ी

आ मै ज़रा तेरी बाहें मरोड़ू बता तेरी मरजी है क्या बोल

जैसे को तैसा मिला कैसा मज़ा आया

मारूं के छोड़ू तेरी टांगे तोड़ू बता तेरी मरजी है क्या

खाना है पीना है रे हम सबको जीना है रे

हक छिनता है मगर दुसरो का तू कितना कमीना है रे ए बांगड़ू

खाना है पीना है रे हमसबको जीना है रे

हक छिनता है मगर दुसरो का तू कितना कमीना है रे

मेरे रहते है जो युही मरते है वो

चाबुक से मारूं के आँखों को फोडू बता तेरी मरजी है क्या बोल

जैसे को तैसा मिला कैसा मज़ा आया

मारूं के छोड़ू तेरी टांगे तोड़ू बता तेरी मरजी है क्या बोल

जैसे को तैसा मिला कैसा मज़ा आया

मारूं के छोड़ू तेरी टांगे तोड़ू बता तेरी मरजी है क्या

वैसे झारखंड की बात नहीं करें तो बात अधूरी रह जाएगी। ईडी वालों ने एक इंजीनियर को क्या पकड़ लिया कई साहिबों के चेहरे उतर गये। राज्य गठन के कुछ दिनों बात से ही इंजीनियरों से डील करने की यह बीमारी झारखंड को लगी थी।

एक ताकतवर नेता को उनके सलाहकार अधिकारी ने यह सीखाया था। उसके बाद से साहब लोग डाईरेक्ट डील नहीं करते और संबंधित अफसर के पास ही अफसर का हिस्सा बतौर घूस जमा करना होता है। अब ईडी वाले इंजीनियर साहब को टाइट करेंगे तो उनका मुंह तो खुलेगा।

अब मुंह खुलेगा तो कौन कौन सा राज बाहर आयेगा, यही सोच सोच कर कई बड़े अफसरों का ब्लड प्रेशर बढ़ता जा रहा है। वैसे परेशान मत होइये इसका कोई पॉलिटिकल हलचल नहीं होने वाला है। दरअसल माल कमाने वालों का पता होता है कि उन्हें हर नेता को खुश करते रहना है।

इसलिए नेताओं के मुद्दे पर सभी एक ही थैले के चट्टे बट्टे हैं। हेमंत सोरेन पर ईडी की कार्रवाई हुई तो पूर्व सीएम का नाम भी आ गया। लिहाजा अब उस बारे में लोग तो क्या ईडी वाले भी कुछ नहीं बोलते हैं। सिर्फ चंद अफसरों के जरिए फिर से हेमंत को घेरने की साजिश अब भी जारी है, यह तय है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button