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दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव हंगामे के कारण स्थगित

  • पहले मनोनित पार्षदों को शपथ ग्रहण पर आपत्ति

  • कांग्रेस ने पहले ही इससे खुद को अलग कर लिया

  • सदन के भीर दोनों तरफ से लात, घूंसे भी जमकर चले

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः उप राज्यपाल का पार्षदों के मनोनित करने का फैसला आते ही स्पष्ट हो गया था कि भाजपा अब भी दिल्ली के महापौर का पद अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती। कांग्रेस ने महापौर के चुनाव से खुद को अलग रखने का एलान कर भाजपा की राह आसान कर दी। लेकिन उप राज्यपाल के समर्थन के बाद भी भाजपा वह नहीं कर पायी, जिसके लिए सारा प्रपंच रचा गया गया था।

आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों के बीच जमकर हुए हंगामे के बाद सदन पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। आज मेयर पद के लिए 11 बजे से वोटिंग होनी थी। लेकिन इससे पहले सदन में आप पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान आप पार्षदों के साथ भाजपा पार्षदों की हाथापाई भी हुई। दोनों पार्टियों के पार्षदों में जमकर धक्का मुक्की हुई।

यहां तक कि सदन में कुर्सियां भी चलीं। कुछ पार्षद टेबल पर भी चढ़ गए। आप पार्षद मनोनीत सदस्यों को पहले शपथ दिलाने का विरोध कर रहे थे। इससे पहले आम आदमी पार्टी ने एलजी द्वारा मेयर चुनाव के लिए भाजपा की पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने पर आपत्ति जताई। उधर, कांग्रेस ने इस चुनाव में वोटिंग में हिस्सा न लेने का फैसला किया ।

4 दिसंबर को दिल्ली नगर निगम  के चुनाव हुए। मतदाताओं ने 250 पार्षदों को चुनने के लिए जो फैसला दिया, उससे 7 दिसंबर को पर्दा उठा। चुनाव परिणाम में आप को 134 सीटें मिलीं जबकि 105 पार्षदों तक सिमटी भाजपा ने एमसीडी में 15 साल की सत्ता खो दी। 6 जनवरी, शुक्रवार को मेयर का चुनाव होना था। लेकिन इसकी प्रक्रियाओं को लेकर ही आप और भाजपा में ठनने लगी।

एलजी ने गुरुवार को आदेश जारी कर गौतमपुरी वॉर्ड से भाजपा पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया। वह ईस्ट एमसीडी की पूर्व मेयर रह चुकी हैं। इस पर आप ने आपत्ति जता दी। आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आमतौर पर निगम में चुने गए सबसे वरिष्ठ नेता को पीठासीन अधिकारी बनाने की परंपरा रही है, लेकिन भाजपा सभी लोकतांत्रिक परंपराओं को खत्म करने पर तुली है।

आम आदमी पार्टी ने अपने वरिष्ठ और अनुभवी पार्षद मुकेश गोयल को सदन का नेता नियुक्त करने की घोषणा की। फिर बारी आई मेयर चुनाव की। शुक्रवार को आप और भाजपा के सभी निर्वाचित पार्षद, मनोनीत पार्षद और अधिकारी सिविक सेंटर स्थित एमसीडी सदन पहुंचे। एलजी की तरफ से नियुक्त पीठासीन अधिकारी सत्य शर्मा ने शपथ ग्रहण की।

उसके बाद उप-राज्यपाल द्वारा मनोनीत 10 पार्षदों के शपथ ग्रहण का सिलसिला शुरू हुआ। तभी आप के कार्यकर्ताओं नारे लगाने लगे। उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि पहले जनता से चुनकर आए पार्षदों का शपथ ग्रहण होना चाहिए। इस पर आप की तरफ से हंगामा नहीं थमा तो भाजपा के पार्षदों की ओर से भी नारे लगने लगे।

पार्षद टेबल पर चढ़ने लगे। फिर तो नारेबाजी कब हंगामे और मारपीट में तब्दील हो गई, पता ही नहीं चला। मार्शल और सुरक्षा अधिकारियों की तरफ से बीच-बचाव के बीच पार्षदों के बीच धक्का-मुक्की होने लगी और लात-घूंसे चलने लगे। इसलिए सदन को स्थगित किया गया और मेयर का चुनाव नहीं हो पाया।

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