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उच्चस्तरीय वार्ता दोबारा अप्रैल में होगी

सात नया जिला बनाने की बैठक का कोई नतीजा नहीं

राष्ट्रीय खबर

गुवाहाटीः सेनापति में कल की उच्च स्तरीय त्रिपक्षीय वार्ता के बाद भी मणिपुर में सात नए जिलों का विवादास्पद मुद्दा अनसुलझा है, हालांकि अधिकारी अप्रैल 2025 में चर्चा जारी रखने पर सहमत हुए हैं। आधिकारिक बयानों के अनुसार, मणिपुर सरकार अगली बैठक में जिला निर्माण को वापस लेने की यूनाइटेड नागा काउंसिल की मांग को संबोधित करते हुए एक नया प्रस्ताव पेश करेगी।

यूएनसी ने नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन के राज्य के 2016 के फैसले का लगातार विरोध किया है। दरअसल जातिगत विभाजन की वजह से हिंसा पीड़ित मणिपुर में हर प्रशासनिक फैसले को अब पड़ने वाले प्रभाव के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। इसके अलावा कई स्तरों पर लगातार यह आरोप लग रहे हैं कि केंद्र और राज्य सरकार सोच समझकर आदिवासियों के प्रभाव को कम करने के लिए अलग अलग हथकंडे अपना रही है।

आधिकारिक बयान में कहा गया है, चर्चा मणिपुर सरकार द्वारा अधिसूचना संख्या (16/20)/2016 – दिनांक 8 दिसंबर, 2016 के तहत 7 नए जिलों के निर्माण और यूएनसी की वापसी की मांग पर केंद्रित थी। गृह मंत्रालय के पूर्वोत्तर मामलों के सलाहकार ए.के. मिश्रा ने वार्ता में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व किया, जबकि मणिपुर के मुख्य सचिव प्रशांत कुमार सिंह ने राज्य प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। यूएनसी के अध्यक्ष की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय टीम ने नागा परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया।

यह विवाद मणिपुर सरकार के दिसंबर 2016 में नए जिले बनाने के फैसले से उपजा है, जिसके बारे में यूएनसी का दावा है कि इसने बिना किसी परामर्श के पारंपरिक नागा क्षेत्रों को बदल दिया है। परिषद ने पिछले आठ वर्षों में कई दौर की वार्ताओं के माध्यम से इस स्थिति को बनाए रखा है। अगले दौर की वार्ता अप्रैल 2025 के लिए निर्धारित है, जहाँ राज्य के अधिकारियों से लंबे समय से चले आ रहे प्रशासनिक सीमा विवाद को हल करने के लिए अपना प्रस्ताव पेश करने की उम्मीद है।

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