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भाजपा या ईडी कौन झेलेगा हेमंत की चुनौती

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो नेता हेमंत सोरेन रांची में चंपई सोरेन सरकार द्वारा विश्वास मत प्राप्त करने के लिए बुलाए गए झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान ऐसा कुछ बोल गये जो भाजपा के साथ साथ ईडी के लिए भी कठिन राजनीतिक चुनौती बन गयी है।

झारखंड के गिरफ्तार पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को भाजपा को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित करने की चुनौती दी और कहा कि अगर आरोप साबित हो गये तो वह राजनीति छोड़ देंगे। उनके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत ने भी इस बात पर हैरानी जतायी थी कि एक जमीन संबंधी सिविल नेचर के मामले में एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा रहा है।

अब हेमंत द्वारा सदन के भीतर दी गयी चुनौती के बाद यह भाजपा अथवा ईडी की जिम्मेदारी है कि वह जनता को इस बात के लिए संतुष्ट करे कि वाकई हेमंत सोरेन के पास जमीन है और उसके दस्तावेज मौजूद हैं। दरअसल इस घटना ने नीतीश कुमार प्रकरण को पर्दे के पीछे धकेल दिया है।

विधानसभा में अपने उत्तराधिकारी चंपई सोरेन द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव में भाग लेते हुए, झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा रची गई साजिश के बाद राजभवन ने उनकी गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पिछले हफ्ते प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किए जाने के बाद झामुमो विधायक दल के नेता चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। पूर्व मुख्यमंत्री जो अभी ईडी की हिरासत में हैं, उन्हें एक विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत ने विश्वास मत में भाग लेने की अनुमति दी थी। उन्होंने सदन के भीतर कहा, 31 जनवरी भारत के इतिहास में एक काला अध्याय था।

राजभवन के आदेश पर एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया था। भाजपा नहीं चाहती कि एक आदिवासी मुख्यमंत्री झारखंड में 5 साल पूरा करे। इस बयान के दीर्घकालीन राजनीतिक प्रभाव होंगे, इसे अब नकारा नहीं जा सकता।  गैर-आदिवासी भाजपा नेता रघुबर दास को छोड़कर, भगवा पार्टी या झामुमो से संबंधित अन्य 10 पिछले मुख्यमंत्रियों में से कोई भी 2000 में गठित राज्य में पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।

हेमंत सोरेन ने कहा, हालांकि, मैं अब आंसू नहीं बहाऊंगा। मैं सामंती ताकतों को उचित समय पर करारा जवाब दूंगा। यह दावा करते हुए कि आदिवासियों को अपना धर्म छोड़ने के लिए मजबूर किया जाएगा क्योंकि बी आर अंबेडकर को बौद्ध धर्म में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया गया था, उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा आदिवासियों को अछूत मानती है। इन बयानों का राज्य के आदिवासी समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसे आसानी से समझा जा सकता है।

चंपई सोरेन ने 81 सदस्यीय विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया और कहा, भाजपा ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई झारखंड सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की। उन्होंने हेमंत सोरेन को झूठे मामलों में फंसाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया। लोकसभा चुनाव के पहले हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी ने नीतीश कुमार के दलबदल से आहत विपक्ष को फिर से मजबूत कर दिया है।

इंडिया गठबंधन के नेताओं को अधिक विश्वास है कि वे उनके जाने से स्तब्ध होने के बजाय इस मुद्दे पर लामबंद हो सकते हैं। 5 फरवरी को, झारखंड में गठबंधन सरकार पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के कारण आवश्यक विश्वास मत से आराम से बच गई। अप्रत्याशित रूप से, अनुभवी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली नई सरकार को 47 वोट मिले, जिन पर उसे भरोसा था।

इंडिया गठबंधन की किस्मत चुनावी तैयारियों के इस चरण में पूर्वी भारत के राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़ी हुई प्रतीत होती है, जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को जोरदार स्वागत मिला है। झारखंड के बाद अब बिहार में भी फिर से बाजी पलट जाने की अटकलबाजी हो रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिहाज से भाजपा ने झारखंड में घाटे का सौदा किया है, इस बात से अब कोई इंकार नहीं कर सकता।

फिर भी इन तमाम राजनीतिक अटकलबाजियों के बीच यह सवाल महत्वपूर्ण है कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के दौरान तरह तरह के आरोप लगाने वाली भाजपा को अब अपने आरोपों के समर्थन में वैसे सबूत पेश करने की जरूरत है जिन्हें जनता अपने तौर पर परख सके। दूसरी तरफ केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी को भी दस्तावेजों से यह साबित करना होगा कि वाकई हेमंत सोरेन के नाम पर वह जमीन मौजूद है, जिसके चारों तरफ यह धनशोधन का सारा मामला तैयार किया गया  है।

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