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केंद्र सरकार अब भी सच छिपा रही हैः चिदांवरम

  • जरूरी दस्तावेज नहीं दिखाये गये हैं

  • अनुमान है कि 26 घंटे में फैसला लागू हुआ

  • सरकार और आरबीआई अपने दस्तावेज दिखायें

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का केंद्र सरकार ने पूरी तरह पालन नहीं किया है। सरकार से जिन दस्तावेजों की मांग की गयी थी, उनमें से चार दस्तावेज केंद्र सरकार ने नहीं दिखाये हैं। इससे साफ है कि केंद्र सरकार नोटबंदी के मामले मे सच को अब भी छिपाने की कोशिश कर रही है। देश के पूर्व वित्त मंत्री और अधिवक्ता पी चिदांवरम ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील देकर इस मामले को और रोचक बना दिया है।

उन्होंने फिर से दोहराया कि रिजर्व बैंक के निदेशकों अथवा केंद्रीय मंत्रिमंडल को भी इतने बड़े फैसले की जानकारी नहीं थी। इधर एक ऐसी गलती से पूरी देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो गयी। अब उसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति को केंद्र सरकार बचाने के लिए सच नहीं बता रही है। उन्होंने संविधान पीठ को बताया कि संबंधित किसी भी जिम्मेदार अधिकारी अथवा मंत्री को यह पता तक नहीं था कि प्रचलन में रही मुद्रा का 86 प्रतिशत रद्द कर दिया जाएगा। यह रकम पांच सौ और एक हजार रुपये में ही थी।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने अपने 12 अक्टूबर के आदेश में इस नोटबंदी से संबंधित फैसले के कुछ खास दस्तावेजों की मांग की थी। अब भी यह दस्तावेज पेश नहीं किये गये हैं। दूसरी तरफ सूचना के अधिकार से यह जानकारी पहले ही बाहर आ चुकी है कि भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशकों की बैठक की कार्यवाही में क्या कुछ हुआ था।

पांच जजों की इस संयुक्त पीठ में न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामासुब्रमणियम और वीभी नागारत्न शामिल हैं। अदालत ने रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार दोनों से ही नोटबंदी के फैसले से संबंधित दस्तावेजों की मांग की थी। जो अब तक अदालत में पेश नहीं किये गये हैं। श्री चिदांवरम ने अदालत का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि इन घटनाओं से यह संदेह और बढ़ता है कि नोटबंदी के गलत फैसले के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को बचाने की साजिश हो रही है।

उन्होंने कहा कि यह सामान्य समझदारी के आधार पर उनका आकलन है कि नोटबंदी का फैसला लेने के बाद अगले 26 घंटे में उसे लागू कर दिया गया। इसकी वजह से देश को जबर्दस्त नुकसान उठाना पड़ा है। शाम साढ़े पांच बजे आरबीआई की बैठक हुई और रात को आठ बजे नोटबंदी का एलान बिना किसी तैयारी के कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार की दलील है कि इस नोटबंदी के पहले काफी विचार विमर्श किया गया था लेकिन दस्तावेजों में ऐसे विचार विमर्श की कोई जानकारी ही नहीं मिल रही है। इसलिए सरकार और आरबीआई को पहले इससे संबंधित दस्तावेज पेश करने का निर्देश दोबारा दिया जाए ताकि यह पता चल सके कि सच्चाई क्या है।

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