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नईदिल्लीः इंडिया गठबंधन से बाहर आने के बाद नीतीश की एनडीए में वापसी के दिन चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर ने बिहार में जेडीयू-भाजपा गठबंधन को लेकर बड़ा दावा किया। रविवार सुबह राज्यपाल से मुलाकात के बाद नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। दोपहर में वह भाजपा के समर्थन से दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके।
इसी सिलसिले में पीके ने बिहार में पुनर्गठित एनडीए के भविष्य पर एक नजर डाली। उन्होंने दावा किया कि बिहार में अगले विधानसभा तक नीतीश-भाजपा गठबंधन नहीं टिकेगा! उन्होंने यह भी बताया कि वह ऐसा क्यों कह रहे हैं। रविवार को जब पटना में सियासी ड्रामा चला तो पीके ने बिहार में पुनर्गठित एनडीए का भविष्य बेगुसराय से तय कर दिया।
उन्होंने दावा किया कि नया गठबंधन 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव तक भी नहीं टिकेगा। इसका मतलब है कि भाजपा-जेडीयू गठबंधन एक साल से भी कम समय तक टिक पाएगा। उन्होंने कहा, मौजूदा गठबंधन, जहां नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से एनडीए का चेहरा बन गए हैं, बिहार विधानसभा चुनाव तक भी नहीं टिकेगा। यह लोकसभा चुनाव के समापन के छह महीने के भीतर किया जाएगा। मैं इसे लिख सकता हूं।
प्रशांत ने कहा, ‘नया, नीतीश ने भाजपा का हाथ थाम लिया है। इसका एकमात्र कारण, उन्हें एहसास हुआ, कि वह लोकसभा चुनाव में महागठबंधन से एक भी सीट नहीं जीत सके। ऐसे में अगर मोदी एनडीए में आते हैं तो कुछ सीटें भाजपा के नाम हो सकती हैं। हो सकता है यही हो। लेकिन एक बात मैं आज कह रहा हूं कि इस नए गठबंधन की सबसे बड़ी कीमत भाजपा को 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में चुकानी पड़ेगी।
पीके ने बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियों को गुलाटी मारने में माहिर बता दिया है। उन्होंने कहा, बिहार की जनता नहीं जानती कि नीतीश कुमार पलटू राम हैं लेकिन आज की घटना से पता चला है कि सिर्फ नीतीश ही नहीं, बल्कि मोदी, अमित शाह और भाजपा भी आसानी से ऐसा कर सकते हैं। यहां तक कि जो राजद सुबह तक नीतीश को बिहार के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति बता रहे थे, वे भी सूर्यास्त से पहले नीतीश की आलोचना प्रारंभ कर चुके हैं।
संयोगवश, नीतीश ने रविवार को राज्यपाल के पास जाकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। दोपहर में वह भाजपा के समर्थन से दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। प्रशांत किशोर का दावा है कि भाजपा के हाथों बनाया गया नीतीश का पुनर्गठित एनडीए गठबंधन अगले विधानसभा चुनाव तक भी नहीं टिकेगा। उन्होंने यहां तक दावा किया कि लोकसभा चुनाव के छह महीने के भीतर यह गठबंधन टूट जाएगा।