Breaking News in Hindi

वह जिधर देख रहे हैं, सब उधर …. .. ..

वह जिधर देख रहे हैं, सबने देखना तो उधर ही चाहा था पर अब इंडिया सॉरी भारत का मैंगो मैन समझदार होता जा रहा है। वह समझ रहा है कि जो हर बार दिखाया जाता रहा है, वह सही नहीं भी हो सकता है। जी हां मैं बात कर रहा हूं, ईडी और सीबीआई की कार्रवाई का, मैं बात कर रहा हूं अभी की चर्चित महुआ मोइत्रा के घटनाक्रम का। मॉय लार्डों का तेवर कुछ अइसा है कि ईडी वाले पसीना पसीना हुए जा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने पूछा है कि मामला तो हो गया पर सबूत कहां हैं। यह तो मैंगो मैन को भी समझ में आ रहा था कि इतने बड़े घोटाले की बात हो रही है और दो कौड़ी भी जब्त नहीं हो रही है, यह कइसा घपला है। अब आम आदमी का वही सवाल अदालत के कटघरे में गूंज रहा है।

बेचारे मोदी जी की रणनीति इस बार शायद साथ नहीं दे रही है। हर बार तो चुनाव के ठीक पहले हिंदू कार्ड सही ढंग से चल जाता था। इस बार अपने सुशासन बाबू ने ओबीसी का पत्ता अइसा चल दिया है कि वह हिंदू कार्ड असर नहीं दिखा पा रहा है। इजरायल के बहाने भी हिंदु वोट एकजुट करने की कोशिश तो हुई थी लेकिन वह भी चाय की प्याली में तूफान साबित हुआ।

अजीब हालत है कि अब कांग्रेस वही हथियार भाजपा वालों पर आजमा रही है, जिनसे कभी भाजपा को सफलता मिली थी। ऊपर से हर बार फर्जी खबर का भंडाफोड़ भी हमास के रॉकेटों से अधिक तेजी से हो रहा है। मोदी जी के टीवी चैनल अब असर खो चुके हैं। जिन अखबारों में उनकी प्रशंसा में कसीदे लिखे जाते है, उन्हें भी मैंगो मैन ने शायद नकार दिया है। उल्टे सोशल मीडिया के बढ़ते असर को देखते हुए सोशल मीडिया में भी वही प्रयास प्रारंभ किया गया था लेकिन अब तो पब्लिक और चालाक हो गयी है या यूं कहें कि चुनाव आते ही तेवर दिखाने लगी है।

इसी बात पर एक पुरानी फिल्म सबक का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था सावन कुमार ने और संगीत में ढाला था उषा खन्ना ने और इसे सुमन कल्याणपुर ने गाया था। गीत के बोल इस तरह है।

वह जिधर देख रहे है, सब उधर देख रही है
वह जिधर देख रहे है, सब उधर देख रही है
हम तो बस देखने वालो की, नजर देख रहे है
वह जिधर देख रहे है, सब उधर देख रही है
किसी के आने से रौनक है, आज महफिल में
किसी के आने से रौनक है आज महफ़िल में
हम तो बस शाम से खुशियों की सहर देख रहे है
हम तो बस देखने वालो की नजर देख रहे है
वह जिधर देख रहे है सब उधर देख रही है
बहुत ख़राब है गैरो से बाते करते है
बहुत ख़राब है गैरो से बाते करते है
अजी सुनिये हम इधर क्या उधर देख रहे है
हम तो बस देखने वालो की नजर देख रहे है
वह जिधर देख रहे है सब उधर देख रही है।

बेचारे दुबे जी, उनके लिए तो यही कथन सही साबित हो रहा है कि चौबे गये थे छब्बे बनने दुबे बनकर आये। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर हमला तो जोरदार हुआ था लेकिन बाद के घटनाक्रमों से साबित हो गया कि इतनी जल्दबाजी के पीछे दरअसल गौतम अडाणी ही हैं। जो खुद राहुल गांधी के बिजली बिल के तीर से घायल हुए पड़े हैं।

ऊपर से राहुल गांधी ने कह दिया है कि उनकी सरकार बनी तो सभी मामलों की जांच होगी। अब राहुल की इस बात से कउन कउन लोग डरे हुए हैं, यह उनके चेहरे नहीं बयान सा पता चलता है। भाजपा वालों में सिर्फ एक ने बिजली बिल और कोयला आयात के बढ़े दाम पर बात कही वरना बाकी सब तो चुप्पी साध गये क्योंकि उन्हें पता है कि मुंह खोला तो तोप का मुंह उनकी तरफ भी हो सकता है।

महुआ मोइत्रा मामले में  शार्दुल श्रॉफ और पत्नी पल्लवी श्रॉफ दुबे जी के मुहिम की हवा निकाल दी है। दोनों ने महुआ मोइत्रा मामले में अपनी संलिप्तता से इंकार करते हुए दर्शन हीरानंदानी के दावों को गलत बता दिया है। इसे कहते हैं प्रथम ग्रासे मक्षिका पातः यानी पहली ही कौर में मक्खी निगल लेना।

हमला तो वाकई जोरदार था और मोदी समर्थक मीडिया भी आगे थे लेकिन अपने बरतन में 56 छेद ने सारे प्रयास पर पानी फेर दिया है, अइसा लगता है। वइसे इलेक्शन का टैम है तो मुद्दे नहीं होंगे तो युद्ध भी रोचक नहीं होगा। मैं तो यह सोचकर अब परेशान हूं कि सरकार बदली तो उस मीडिया का क्या होगा, जो सच से दूर जा चुका है। ऐसे लोगों की नाव अब मंझधार में फंसती नजर आ रही है।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।