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अयोध्या में सुलतान की जीत एक नया रिकार्ड

योगी और कर्नाटक की जीत मे दब गयी थी यह सूचना

लखनऊः भगवान श्री राम के अयोध्या उपचुनाव में एक मुस्लिम युवक ने भारी अंतर से जीत हासिल की। उसका नाम सुलतान अंसारी है। वह अयोध्या के राम अभिराम दास वार्ड में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए थे।

हिंदू बहुल वार्ड में सुलतान की जीत से सभी हिंदू और मुसलमान खुश हैं। इस पर पहले भी चर्चा हो सकती थी लेकिन एक तरफ कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेस की जीत और यूपी के निकाय चुनाव में योगी आदित्यनाथ की चर्चा के बीच इस बात पर लोगों का ध्यान कम गया था।

जारी उपचुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि अयोध्या में मेयर पद के चुनाव में भाजपा की जीत हो गई है। अयोध्या के कुल 60 वार्डों में से 27 वार्डों में भाजपा को जीत मिली है। सपा ने 17 वार्डों पर और 10 वार्डों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। उनमें से एक हैं राम अभिराम दास वार्ड। वहां सुलतान जीत गया।

राम जन्मभूमि के ठीक पीछे इसी इलाके के रहने वाले थे राम अभिराम दास। वार्ड का नाम राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रदूतों में से एक राम अभिराम के नाम पर रखा गया है। सुलतान उस वार्ड में लड़ा। सुलतान ने जीत के बाद कहा, यह अयोध्या में हिंदू-मुस्लिम शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का सबसे अच्छा उदाहरण हो सकता है।

राम अभिराम दास वार्ड में मुस्लिम आबादी नगण्य है। हिंदू वोट 3,844 थे, जबकि मुस्लिम वोट केवल 440 थे। अकेले जय सुलतान को पड़े कुल वोटों में से 42 फीसदी वोट मिले। कुल मत 996 प्राप्त हुए। दूसरे नंबर पर एक और निर्दलीय उम्मीदवार नागेंद्र मांझी हैं। उन्हें 442 वोट मिले। भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।

सुलतान ने कहा, मैं इस वार्ड का रहने वाला हूं। जहां तक ​​मुझे पता है, मेरे पूर्वज यहां पिछले 200 सालों से रह रहे हैं। जब मैंने पहली बार अपने हिंदू मित्रों को चुनाव लड़ने के अपने इरादे के बारे में बताया, तो उन्होंने सर्वसम्मति से मेरा समर्थन किया। उन्होंने मेरे लिए काम किया। उस वार्ड के रहने वाले अनूप कुमार कहते हैं, लोग अयोध्या को बाहर से देखते हैं और सोचते हैं कि यहां मुसलमान कैसे रहते हैं।

लेकिन अब देखिए, मुस्लिम रह ही नहीं रहे, अयोध्या में जीत भी रहे हैं। उस वार्ड के निवासी पेशे से व्यवसायी सौरभ सिंह कहते हैं, अयोध्या राम मंदिर के लिए तो पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन यहां मुसलमानों के लिए एक पवित्र स्थान भी है। हमें उस परंपरा को आगे बढ़ाना है।

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