भारतीय जनता पार्टी ने यूं तो राहुल गांधी की तरह सड़कों पर उतरकर जनता से सीधा संवाद कायम करने की गुपचुप तैयारी कर ली है। इसे अलग अलग कार्यक्रमों का नाम दिया जा रहा है। इससे कमसे कम यह स्पष्ट है कि कर्नाटक के चुनाव परिणामों ने भाजपा को नये सिरे से अपनी कोशिशों को और तेज करने का संदेश दिया है।
इसके बाद भी भाजपा महिला पहलवानों के मामले में देश के बिगड़ते मिजाज को फिर से नहीं भांप पा रही है। चुनावी आंकड़ों की बात करें तो भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष की जेब में उनके इलाके की नौ लोकसभा सीटें हैं, ऐसा भाजपा का दावा है। लेकिन भाजपा यह नहीं समझ पा रही है कि इस जंतर मंतर के आंदोलन से देश के दूसरे हिस्सों पर क्या असर छोड़ा है।
वैसे भी किसान आंदोलन के दौरान भी नरेंद्र मोदी का यह तेवर देखने को मिला था। किसानों को बदनाम, अपमानित और प्रताड़ित करने की हर कोशिश के बाद वे तीनों कृषि कानून वापस लिये गये थे, जिनके आने के पहले ही अडाणी समूह ने अपने बड़े बड़े गोदाम तैयार करा लिये थे। इसलिए यह माना जा सकता है कि दरअसल भाजपा का शीर्ष नेतृत्व आम जनता के मिजाज को नहीं तौल पा रहा है अथवा अकेले नरेंद्र मोदी की जिद की वजह से पूरी भाजपा मौन है।
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे रहे पहलवानों ने अपने विरोध का दायरा बढ़ा दिया है। मंगलवार शाम जंतर मंतर से रेसलर्स इंडिया गेट तक पहुंचे। इस दौरान उनके साथ कई पहलवान और राजनीतिक-सामाजिक संगठनों के लोग भी थे। भारतीय कुश्ती महासंघ में छिड़ा घमासान अब और तेज हो गया है।
कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एक महीने से धरने पर बैठे पहलवानों को अभी तक इंसाफ नहीं मिला है। ऐसे में अब उन्होंने विरोध-प्रदर्शन का दायरा बढ़ा दिया है। मंगलवार को जंतर-मंतर से निकलकर पहलवान पैदल मार्च करते हुए इंडिया गेट तक पहुंचे।
इस दौरान उनके साथ राजनीतिक-सामाजिक संगठनों के कई लोग मौजूद थे। साथ ही बड़ी संख्या में पहलवान भी थे। इस मार्च में शामिल लोग हाथों में तिरंगा लिए थे। पैदल मार्च में जम्मू कश्मीर के पूर्व उप राज्यपाल सत्यपाल मलिक, किसान नेता राकेत टिकैत, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण सहित कई अन्य लोग शामिल थे।
इस दौरान पहलवानों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने इंडिया गेट को खाली करा दिया, ताकि लोग उनके समर्थन में हिस्सा न ले सकें। इधर बजंरग पूनिया ने कहा कि जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा, तब तक हमलोगों का प्रदर्शन जारी रहेगा। दूसरी ओर विनेश फोगाट ने कहा कि 28 मई को संसद के सामने महिला पंचायत होगी।
विनेश ने कहा जबतक न्याय मिलेगा, तब तक हम लोग नहीं रुकेंगे। इंडिया गेट पर मार्च के दौरान पहलवान बजरंग पुनिया ने कहा कि हमारी बहनों का सम्मान हमारे लिए जान से भी बढ़कर है। जब तक देश के बेटियों को न्याय नहीं मिल जाता है तब तक यह आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा। बहुत से लोग इस आंदोलन को बदनाम करने का काम कर रहे हैं इसलिए मेरी आपसे विनती है कि आप हमारा ऐसे ही साथ देते रहें।
इस बीच बजरंग पुनिया ने बृजभूषण शरण सिंह की तीन पति-तीन पत्नी वाले विवादित बयान पर पलटवार किया। पहलवानों के प्रदर्शन पर मऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बृजभूषण शरण सिंह ने विनेश फोगाट की तुलना मंथरा से करते हुए इस प्रदर्शन को तीन पति-तीन पत्नी का प्रदर्शन करार दिया था।
बृजभूषण ने कहा था कि पहली बार हजारों पहलवान थे, इस बार तीन पति-तीन पत्नी, सातवां कोई नहीं। बृजभूषण के इस बयान पर बजरंग पुनिया ने कहा कि यह कुछ पति-पत्नियों का प्रदर्शन नहीं है। यह देश के हजारों पहलवानों का प्रदर्शन है। पहलवानों के प्रदर्शन में पहुंचे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि सरकार सही होती तो बृजभूषण सिंह जेल में होते।
देश के कई नामी पहलवान बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 23 अप्रैल से यहां जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। सिंह पर एक नाबालिग समेत छह महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. दिल्ली पुलिस ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद के खिलाफ पिछले महीने दो प्राथमिकियां दर्ज की थीं।
यह सहज सवाल है कि बृजभूषण सिंह पर पुलिस जितनी उदार है क्या इन्हीं धाराओं में किसी और के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी ऐसा ही पुलिस का आचरण होता। उसका उत्तर नहीं है। इसी वजह से महिलाओं के मामले में उत्तरप्रदेश जैसे राज्य में भी भाजपा अपने लिए गड्डे खोद रही है। वरना इसी एक राज्य ने इससे पहले भी नरेंद्र मोदी के लिए दिल्ली की कुर्सी का रास्ता साफ कर दिया था। इस बार जनता की नाराजगी दूसरा गुल भी खिला सकती है।