अजब गजबविज्ञानस्वास्थ्य

प्रदूषण का धुआं हमारे दिमाग को खराब कर रहा है

दुनिया भर में किये गये शोध के आधार पर पहली बार निष्कर्ष निकला

  • प्रयोगशाला में एमआरआई से आंकड़े दर्ज किये

  • दिमागी संपर्क के तारतम्य घटता चला गया

  • लोगों को बचाव करने की सलाह दी गयी है

राष्ट्रीय खबर

रांचीः प्रदूषण से लोगों को सांस की तकलीफ होती है, यह जगजाहिर बात है। पहली बार यह पता चला है कि लगातार वाहनों के ईंधन के धुएं के प्रभाव का खराब असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है। इस बारे में किये गये एक वैश्विक शोध के आधार पर यह चेतावनी दी गयी है कि इस धुआं का दिमाग के अंदर का प्रभाव कई बार स्थायी भी हो सकता है।

आम तौर पर दुनिया के लगभग हर इलाके में यातायात के दौरान ट्राफिक जाम होने पर हर किसी को इस धुआं का सामना करना पड़ता है। पहली बार वैज्ञानिक इसके ऐसे गंभीर खतरे के बारे में जानकारी दे रहे हैं। शोध दल ने बताया है कि दरअसल इससे पहले कभी इस विषय पर कोई शोध किया भी नहीं गया था।

इसलिए लोगों को इस वाहन से निकलने वाले धुआं से इंसानी दिमाग पर पड़ने वाले इस कुप्रभाव की जानकारी भी नहीं मिली थी। दरअसल निरंतर धुआं के असर में रहने वाले व्यक्ति का दिमाग सही तरीके से काम करना बंद कर देता है।

प्रसिद्ध वैज्ञानिक पत्रिका जर्नल एनवॉयरमेंटल हेल्थ में प्रकाशित लेख से इसकी जानकारी मिली है। यह बताया गया है कि इस शोध को यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया और यूनिवर्सिटी ऑफ विक्टोरिया के शोध दल ने अंजाम दिया है। इसका निष्कर्ष यह है कि दो घंटे तक डीजल के धुआं के प्रभाव में रहने वाले के दिमाग के अंदर के संपर्क आपस में स्वाभाविक नहीं रह जाते हैं।

इसलिए इस धुआं के प्रभाव में आने वाला व्यक्ति सामान्य आचरण भी नहीं करता है। दरअसल इस संबंध में पहले से ही दिमाग को शहरीकरण के प्रदूषण के कुप्रभाव से बचाने की वकालत की जाती रही है। पहली बार इस धुआं के ऐसे खतरनाक दुष्प्रभाव के बारे में पता चला है।

इस शोध का नेतृत्व करने वाले डॉ क्रिस कार्लस्टन ने इस बारे में और जानकारी दी है। डॉ कार्लस्टन यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के विभागाध्यक्ष हैं। शोध में पाया गया है कि किसी खास स्थान पर ट्राफिक जाम होने की स्थिति में दिमाग पर इसका असर और ज्यादा हो जाता है।

यह बताया गया है कि इस शोध को किसी वैज्ञानिक नतीजे पर पहुंचाने के लिए पूरी तरह स्वस्थ पच्चीस लोगों का चयन किया गया था। इनलोगों को प्रयोगशाला के अंदर सुरक्षित माहौल में डीजल के धुआं के संपर्क में रखा गया था। इन सभी लोगों के दिमाग को अत्याधुनिक यंत्रों से जोड़ा गया था।

उनके दिमाग पर पड़ने वाले प्रभाव का हर पल का हिसाब रखा गया। इसके लिए दिमाग के अंदर होने वाले बदलाव के चुंबकीय प्रभावों को दर्ज किया गया। यह परीक्षण धुआं के प्रभाव में आने के पहले और बाद में किया गया था। यह पाया गया कि धुआं के सीधे संपर्क में आने के बाद इन सारे लोगों के दिमागी संरचना में बदलाव आता देखा गया। एमआरआई रिपोर्ट से दिमाग के बदलाव भी देखा और दर्ज किया गया।

यह देखा गया कि इन सारे लोगों के दिमागी काम काज की गति धीमी होती चली जा रही थी।  वैसे देखा गया कि इस धुआं का प्रभाव खत्म होते ही ऐसे प्रभाव खत्म हो गये और इंसान पूर्ववत हो गया था। लेकिन अधिक समय तक इस प्रभाव के असरदार रहने के कारण दिमाग पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।

इसलिए शोध दल ने यह सिफारिश की है कि लोगों को आने वाले दिनों में इस किस्म के प्रभाव से बचने का उपाय खुद करना चाहिए। इस शोध का हवाला देते हुए वैज्ञानिकों ने सरकार से भी इस दिशा में सरकार को भी ऐसे धुआं प्रदूषण को कम करने के लिए बेहतर नियम बनाने का काम करने की सलाह दी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button