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चीन की चाल समझ रहा भारत, एलएसी पर डटी रहेगी भारतीय सेना

सीमा पर अभी एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती

  • सत्रह हजार फीट की ऊंचाई पर आईटीबीपी

  • तवांग के बाद कोई ढील नहीं देने का फैसला

  • अरुणाचल के अलावा सिक्किम में भी सेना

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी: अरुणाचल प्रदेश के  तवांग के पास यांग्स्ते इलाके में भारतीय-चीनी सैनिकों की झड़प के बाद भारत- चीन के बीच सीमा पर तनाव को काफी बढ़ा दिया। इस घटना के बाद से अरुणाचल और सिक्किम में  एलएसी पर जहां भारतीय सेना ने अपनी स्थिति मजबूत की है वहीं पूर्वोत्तर में भी सैन्य रूप से बेहतर स्थिति में है।

सिक्किम और अरुणाचल के साथ लगी सीमा पर भारत ने अपनी स्थिति पहले मुकाबले अधिक मजबूत कर ली है।भारतीय सेना के तेजपुर मुख्यालय के अधिकारी ने कहा कि  भारत की लगती सीमा पर चीन तनाव को कम नहीं करना चाहता है। चीन के साथ 17वें दौर की बातचीत के बाद यह स्‍पष्‍ट हो गया है। इसके मद्देनजर भारतीय सेना भी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पर डटी रहेगी।

यह लगातार तीसरी सर्दी है, जब चीन और भारत की सेनाएं आमने-सामने मौजूद हैं। दोनों देशों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी है। अरुणाचल और सिक्किम में  एलएसी पर 50,000 से अधिक अतिरिक्त भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया है। कुछ सैनिकों को सर्दियों में वापस बुला लिया गया था लेकिन अब उन्हें फिर से तैनात किया गया है।

क्योंकि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) तिब्बत में अपना युद्ध अभ्यास जारी रखा हुआ है।गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबि‍क एलएसी पर इस समय चीन के लगभग दो लाख सैनिक हैं। वहीं, भारतीय सेना और आईटीबीपी के भी लगभग इतने ही जवान वहां डटे हुए हैं। सीमा पर चीन ने भारी मात्रा में हथियार जमा किए हैं तो भारत भी पीछे नहीं है।

भारत ने एलएसी पर कई तरह के टैंक, मल्टी ग्रेनेड लॉन्चर, अंडर बैरल लॉन्चर, रॉकेट लॉन्चर, असॉल्ट राइफल्स हथियार जमा कर रखे हैं। अभी हाल ही में चीन पर बारीकी नजर रखने के लिए भारत ने 17 हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे खरीदने का भी ऑर्डर दिया है। ये कैमरे आईटीबीपी के जवानों को दिए जाएंगे। आईटीबीपी चीन सीमा पर 9000 से 18,000 फीट की ऊंचाई पर तैनात है।

सूत्रों के मुताबिक विवादित सीमा पर दोनों पक्षों की बीच की दूरी काफी कम रह गया है। कई ऐसी जगहें हैं, जहां चीनी सेना सिर्फ 500 फीट की दूरी पर तैनात है। चीन के पक्के निर्माण को देखते हुए भारत ने भी अपनी रणनीति में खासा बदलाव किया है। विदेश मंत्रालय के एक अफसर का कहना है कि भारत-चीन के बीच कोई बड़ा विवाद फिलहाल नहीं है।

लेकिन हम अपनी तैयारी से पीछे नहीं हट सकते। अरूणाचल के तवांग सेक्टर में नौ दिसंबर को हुई झड़प को देखते हुए आईटीबीपी ने अरुणाचल प्रदेश में विवादित क्षेत्रों में अतिरिक्त चौकियां बनाने का फैसला किया है। यांगत्से के 17,000 फीट ऊंची चोटी पर अतिरिक्त जवान तैनात किए गए जाएंगे। यहीं पर चीनी सैनिकों ने घुसकर तोड़फोड़ की कोशिश की थी।लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (रिटायर्ड), पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) का कहना है कि गलवान का मतलब है कि चीन को दूर के खतरे के रूप में नहीं माना जा सकता है। यह स्पष्ट और वर्तमान खतरे का संकेत था। लद्दाख में चिंता का सबसे बड़ा क्षेत्र अभी भी देपसांग मैदान है जो गलवान के उत्तर में स्थित है।

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