भुवनेश्वर: ओडिशा मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों को गैर-आदिवासियों को अपनी जमीन बेचने की अनुमति देने वाले फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) को सिफारिश करने का शुक्रवार को फैसला किया।
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में आज यहां हुयी कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। संसदीय कार्य मंत्री निरंजन पुजारी ने राज्य विधानसभा को सूचित किया कि कैबिनेट ने आगे की समीक्षा और आवश्यक बदलाव करने के लिए ओडिशा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण (अनुसूचित जनजातियों द्वारा) विनियमन, 1956 में संशोधन को जनजातीय सलाहकार परिषद को भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
कैबिनेट ने यह फैसला तब लिया जब विपक्षी भारतीय जनता पार्टी( भाजपा) और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर हंगामा किया और इस कदम को पूरी तरह वापस लेने की मांग करते हुये दो दिनों के लिए सदन की कार्यवाही रोक दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आदिवासी विरोधी है और यह कदम आदिवासियों की जमीन हड़पने और उन्हें भूमिहीन बनाने की साजिश है।
पिछले 14 नवंबर को ओडिशा मंत्रिमंडल ने ओडिशा अनुसूचित क्षेत्र अचल संपत्ति हस्तांतरण (अनुसूचित जनजातियों द्वारा) विनियमन, 1956 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी, जिससे आदिवासियों को अनुसूचित क्षेत्रों में गैर-आदिवासियों को भूमि हस्तांतरित करने की अनुमति मिल गयी थी।
राजस्व मंत्री सुदाम मरांडी ने 16 नवंबर को अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर कहा कि आदिवासी भूमि के हस्तांतरण के संबंध में 14 नवंबर को हुई कैबिनेट बैठक में चर्चा की गई 1956 के विनियमन -2 में प्रस्तावित संशोधन को रोक दिया गया है।
विपक्ष के मुख्य सचेतक मोहन माझी ने कहा कि सरकार आदिवासी विरोधी है और कैबिनेट का फैसला आदिवासियों के खिलाफ उनकी जमीन लूटने तथा उन्हें भूमिहीन बनाने की साजिश है। उन्होंने इस फैसले को पूरी तरह वापस लेने की मांग की। मंत्रिमंडल ने ओडिशा राज्य वर्कफ्लो ऑटोमेशन सिस्टम के उन्नयन और ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की मरम्मत, नवीकरण और पुनर्निर्माण के लिए एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी और 2023-24 से 2027-28 इस प्रयोजन हेतु पांच वर्षों के लिए 491.41 करोड़ रुपये मंजूर किये।