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झारखंड और छत्तीसगढ़ ईडी की कार्रवाई के निशाने पर कौन

  • हेमंत की जमीन के दस्तावेज लिये गये

  • शराब सिंडिकेट से झारखंड के तार जुड़े

  • इस बहती गंगा में भाजपा वाले भी हैं

राष्ट्रीय खबर

रांचीः प्रवर्तन निदेशालय की दो अलग अलग टीमें रांची और रायपुर में सक्रिय हैं। रांची की टीम ने रांची के रजिस्ट्री कार्यालय जाकर जमीन के दस्तावेज ले गयी हैं। दूसरी तरफ रायपुर में ईडी की टीम ने झारखंड के शराब कारोबार पर अपनी जांच प्रारंभ की है। इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कई दस्तावेजों के साथ शराब सिंडिकेट के बारे में वर्तमान सरकार पर आरोप लगाये थे।

जाहिर सी बात है कि दोनों राज्यों में ईडी की कार्रवाई के निशाने पर हेमंत सोरेन ही है लेकिन जिन मुद्दों को खंगाला जा रहा है, उनमें भाजपा के कई नेता और विधायक भी लपेटे में आ सकते हैं, यह बात जनता जानती है सिर्फ सरकारी अधिकारी नहीं जानते हैं। ईडी के अधिकारी शुक्रवार को अचानक रजिस्ट्री कार्यालय पहुंचे।

उन्होंने हेमंत सोरेन और उनके परिवारी जनों की भू संपत्ति के ब्योरे की सूची रजिस्ट्रार को सौंपी। उनसे उन संपत्तियों के सेल डीड की सत्यापित प्रति देने की मांग की। देर रात तक रजिस्ट्रार ने 18 भू संपत्ति के दस्तावेज की सत्यापित प्रति ईडी को मुहैया कराई। इनमें खनन पट्टा लीज के वे दस्तावेज भी हैं, जिनके बारे में आरोप है कि सीएम रहते हेमंत ने अपने नाम खनन पट्टा लिया था।

ईडी के अधिकारियों ने रजिस्ट्री कार्यालय से हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू, भाई बसंत सोरेन और उनकी पत्नी के अलावा शिबू सोरेन की 18 प्रॉपर्टी के दस्तावेज निकलवाए। सारे दस्तावेज की सत्यापित प्रति वे अपने साथ ले गए। चर्चा है कि सेना की जमीन बेचने के मामले में ईडी ने जिन दलालों को गिरफ्तार किया है, उनसे मिली जानकारी के आधार पर ही ईडी ने यह कार्रवाई की है।हेमंत सोरेन के खनन पट्टा लीज को लेकर पहले भी घमासान मच चुका है।

हाईकोर्ट में यह मामला तो चल ही रहा है, राज्यपाल के यहां भी यह मामला पेंडिंग है। बीजेपी की तरफ से तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में बताया गया था कि सीएम रहते हेमंत सोरेन ने अपने और पत्नी के नाम खनन पट्टा का लीज लिया था। राज्यपाल ने उस पर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था।

चुनाव आयोग ने मंतव्य दे भी दिया था, लेकिन 25 सितंबर 2022 से वह राजभवन में ही पड़ा हुआ है। लेकिन यह भी सार्वजनिक सूचना है कि इसी किस्म का पट्टा भाजपा के नेताओं का भी था, जब वे लाभ के पदों पर थे। इसलिए मामला तब ठंडा पड़ गया था।

दूसरी तरफ रायपुर में झारखंड से उत्पाद विभाग से जुड़े दो अधिकारियों से पूछताछ हुई है। झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल पर पिछले एक साल से नई शराब नीति के तहत शराब बिक रही है।

इससे गत वित्तीय वर्ष में झारखंड सरकार को करीब 450 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ था। दरअसल ईडी की छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले की जांच से ही झारखंड के घोटाले का सुराग मिला था। छत्तीसगढ़ में इस कारोबार के सिंडिकेट में अरुणपति त्रिपाठी व सिद्धार्थ सिंघानिया है। अरुणपति त्रिपाठी छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी व सिद्धार्थ सिंघानिया मैनपावर उपलब्ध कराने वाली कंपनी के लाइजनर थे।

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच के सिलसिले में ईडी ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी व अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद से ही यह संभावना जताई जा रही थी कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच की आंच झारखंड तक भी आएगी।

लेकिन शराब कारोबार के सिंडिकेट से झारखंड भाजपा के लोगों का भी परोक्ष जुड़ाव रहा है, यह बात शायद बहुत लोग नहीं जानते हैं। इसलिए यह माना जा सकता है कि ईडी की कार्रवाई का असली लक्ष्य हेमंत सोरेन ही हैं। फिर भी दोनों किस्म की जांच में अगर भाजपा के लोग फंसते नजर आये तो खनन मामले की तरह यह भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा, यह तय है।

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