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झारखंड के अफसरों के जरिए बड़ा घेरा डाल रहा है प्रवर्तन निदेशालय

  • असली निशाना हेमंत सोरेन को घेरना है

  • पिछली बार भी साक्ष्य पेश किये थे श्री राय ने

  • इस बार अफसरों के जरिए बड़ी मछली को फांसना है

राष्ट्रीय खबर

रांचीः ईडी ने एक नहीं दो जिम्मेदार अधिकारियों को अपने घेरे में ले लिया है। यह घटनाक्रम देखकर कुछ ऐसा ही प्रतीत होता है मानों अजगर अपने असली शिकार पर धीरे धीरे शिकंजा कस रहा है। राजनीति के जानकार इस बात को अच्छी तरह समझ रहे हैं कि दरअसल यह सारी प्रक्रिया हेमंत सोरेन को लपेटने के लिए की जा रही है।

इस पूरी प्रक्रिया में ईडी को फिर से इस बात का भय सता रहा होगा कि कहीं इस बार भी सरयू राय की तरफ से कोई नया बम विस्फोट ना हो जाए। इसके पहले भी कई बार ईडी की हेमंत सोरेन विरोधी कार्रवाइयों पर खुद जमशेदपुर के विधायक सरयू राय पानी फेर चुके हैं।

झारखंड में महत्वपूर्ण विभाग के जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसर अपने ऊपर के लोगों को अनुगृहित करते हैं, यह कोई आश्चर्य का विषय नहीं है। राज्य गठन के कुछ दिन बाद से ही यह बीमारी तेजी से फैलती चली गयी थी।

राज्य के कई प्रभावशाली नेता को खुद को इस परसेंट के खेल से अलग रखते हुए विभागीय अधिकारियों के माध्यम से अपना हिस्सा लिया करते थे, यह कोई गोपनीय तथ्य नहीं है। इस बार भी दो अफसरों पर ईडी की छापामारी के बाद अब दोनों की जुबान कितनी खुलती है और किसके खिलाफ खुलती है, यह देखना रोचक होगा।

इतना तो तय है कि ऊपर सब कुछ सेट नहीं होने के बगैर ऐसे विभागों में ऐसी पोस्टिंग नहीं मिलती है। इन विभागों में ठेकेदारी करने वाले भी यह अच्छी तरह जानते हैं कि उनके भुगतान का जो परसेंट भुगतान वाला चेक जारी करने वाले किरानी से लेकर ऊपर तक किसे कितनी रकम मिलती है।

यह कोई परम गोपनीय तथ्य नहीं है। इसलिए यह जानना रोचक होगा कि ईडी की पूछताछ में यह दोनों इंजीनियर कितनी मुंह खोलते हैं और किन अधिकारियों का नाम लेते हैं। यह स्पष्ट होता जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई का असली मकसद हेमंत सोरेन को घेरना है।

ईडी के कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाये गये हेमंत सोरेन के जाने के दिन शहर का जो माहौल था, उसने ईडी को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। इससे पहले कई वरीय अधिकारियों और उनके पसंदीदा ठेकेदारों पर जब ईडी की कार्रवाई हुई तो विधायक सरयू राय ने इस बारे में कई ऐसे तथ्य सामने रख दिये, जिनकी वजह से ईडी को पीछे हट जाना पड़ा।

श्री राय ने इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री को ही निशाने पर लेते हुए साक्ष्य तक प्रस्तुत कर दिये थे। इसलिए अब अफसरों के जरिए बड़े अफसरों और उनके जरिए हेमंत सोरेन के घेरने की प्रक्रिया के बीच ईडी को सिर्फ इस बात का भय है कि कहीं फिर से सरयू राय का कोई बम ना फूटे वरना अब तक की कार्रवाई को दरकिनार कर नये सिरे से सब कुछ करना पड़ जाएगा।

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