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शिक्षकों का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए विभाग की नई पहल

रांचीः झारखंड के विभिन्न जिलों से मिल रही शिकायतों के आधार पर अब झारखंड शिक्षा परिषद नई तकनीक आजमाने जा रहा है। इसके लिए सभी शिक्षकों को मोबाइल के जिओ लोकेशन का सहारा लिया जाएगा। इससे पता चल जाएगा कि हाजिरी बनाने वाला शिक्षक दरअसल किस स्थान पर मौजूद था।

इस बारे में कहा गया है कि सरकारी स्कूलों के शिक्षक स्कूल आकर ही अपना अटेंडेंस बनाएं। इसके लिए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने स्कूल का जियो लोकेशन का दायरा घटा दिया है। पहले स्कूल के जियो को-ऑर्डिनेट्स के 300 मीटर के दायरे में आने पर मोबाइल के माध्यम से शिक्षकों द्वारा अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जाती थी।

लेकिन अब दायरा घटाकर 100 मीटर कर दिया गया है। इससे स्पष्ट है कि स्कूल के इतने करीब आने के बाद ही किसी शिक्षक की हाजिरी बन सकेगा। वरना पहले मोबाइल से उपस्थिति दर्ज कराने का दुरुपयोग होने की शिकायतें मिली थी।  यही नहीं अब विद्यालय और शिक्षकों की लॉगिन से मैनुअल अटेंडेंस को हटा दिया गया है।

ऐसे में सभी शिक्षक और गैर शिक्षा कर्मियों को ऑनलाइन अटेंडेंस ही दर्ज कराना होगा। दरअसल परियोजना ने ई-विद्या वाहिनी मोबाइल को अपडेट किया है। इसके बाद यह बदलाव किया गया है। इस संबंध में परियोजना की निदेशक किरण कुमार पासी ने सभी जिला के डीईओ व डीएसई को निर्देश जारी किया है।

इधर शिक्षकों का कहना है कि जियो लोकेशन का दायरा घटाना व बायोमैट्रिक अटेंडेंस पद्धति से मैनुअल सिस्टम को हटाना झारखंड सरकार की हिटलरशाही नीतियों का परिचायक है। यह सरकार एनजीओ के हाथों बिकी हुई प्रतीत होती है। उन्हीं के द्वारा शिक्षकों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों व नीतियों का निर्धारण कराया जा रहा है। .

उसी कड़ी में इस आदेश को लागू करने का फरमान जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि शिक्षकों को ई-विद्या वाहिनी में जियो फेंसिंग के 100 मीटर के दायरे में केवल बायोमैट्रिक अटेंडेंस बनाना मान्य होगा। मैनुअल अटेंडेंस किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है। इस जियो लोकेशन की मदद से किसी व्यक्ति के इंटरनेट से जुड़े डिवाइस द्वारा दी गई डिजिटल जानकारी के आधार पर उसकी भौगोलिक स्थिति जानने की एक प्रक्रिया है। इसकी जांच से पता चल जाता है कि दरअसल मोबाइल धारक किस स्थान पर मौजूद है।

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