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पी चिदांवरम ने बताया चुनावी मुकाबले का फार्मूला

आगामी 12 जून की बैठक में तय होगी आगे की चुनावी रणनीति

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः अगर सभी भाजपा विरोधी दल एक छतरी के नीचे आ गये तो प्रत्याशियों का चयन कैसे होगा, यह एक बड़ा सवाल घूम रहा है। दरअसल इस सवाल को भाजपा वाले भी हवा दे रहे हैं ताकि उनकी चुनौती कम हो। इस बारे में मीडिया ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदांवरम से जानकारी मांगी थी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कम से कम 400-450 सीटों पर गठबंधन की ओर से भाजपा के खिलाफ सर्वसम्मत उम्मीदवार खड़ा किया जा सकता है। यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इनके बीच 12 जून को पटना में सभी दलों की बैठक होने वाली है। इस बीच चिदंबरम कुछ दिन पहले संगठन के काम से मुंबई हो आये हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारी पार्टी लाइन यह है कि जितना संभव हो सके सभी भाजपा विरोधी ताकतों को एक साथ लाने का प्रयास किया जाए। अगर वे साथ आ सकते हैं तो हम 400-450 सीटों पर एक साझा उम्मीदवार दे सकते हैं। भाजपा के खिलाफ एक ही सर्वसम्मत उम्मीदवार होगा। लेकिन अब यह सब इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि 12 जून को पटना में विपक्ष की बैठक है। चिदंबरम की मुखरता जैसे-जैसे गुजर रही है, कम से कम यह समझ में आ रहा है कि सभी के साथ एकजुट विपक्षी गठबंधन जरूरी है। इस बीच, हाल ही में जनता दल यूनाइटेड के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी गैर-भाजपा नेताओं को एक छत के नीचे लाने का आह्वान किया है।

वैसे बता दें कि यह सभी मानते हैं कि इस फार्मूला को सबसे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार के सामने रखा था। इसी क्रम में अब उन मुद्दों की भी तलाश की जा रही है, जिनका उत्तर देने से भाजपा को परहेज है। उनके मुताबिक देश के लिए सबसे गंभीर मुद्दा पड़ोसी चीन की आक्रामकता है। लेकिन हमें संसद में इसके बारे में बात करने की इजाजत नहीं थी। अतीत के सभी युद्धों पर संसद में चर्चा की गई है। लेकिन इस बार सुरक्षा की दृष्टि से चर्चा नहीं करने दी गई। इस बीच मोदी सरकार चीन की आक्रामकता को रोक नहीं पा रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री का दावा

इस दौरान उन्होंने कर्नाटक में भाजपा की हार पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, हम कर्नाटक का उदाहरण दूसरे राज्यों में भी दिखाएंगे। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कर्नाटक मॉडल जैसी कोई चीज नहीं है। दरअसल हर राज्य का अलग संदर्भ होता है। इस बीच, दिल्ली में पहलवानों के विरोध आंदोलन को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्र को कोई रास्ता निकालना चाहिए। लेकिन जिस तरह से वे विरोध आंदोलन से बचने की कोशिश कर रहे हैं वह सही नहीं है।

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