कई पूर्व मंत्रियों के पराजित होने से बदल गया है समीकरण
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मिथिलेश ठाकुर के विभाग पर नजर
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बन्ना गुप्ता का स्थानापन्न कौन होगा
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महिला कोटा भी तय करना कठिन होगा
राष्ट्रीय खबर
रांचीः हेमंत सोरेन को दोबारा विधायक दल का नेता चुन लिये जाने के बाद अब इंडिया गठबंधन में मंत्री पद की दावेदारी तेज हो गयी है। आम समझ के मुताबिक जो पूर्व में मंत्री थे, उन्हें स्थान मिलना तो तय है लेकिन इस बीच कई समीकरणों में बदलाव की वजह से इस सोच में भी अप्रत्याशित तब्दीली देखने को मिल सकती है।
इससे बड़ी बात जो मंत्री पराजित हो गये हैं, उनके स्थान पर नये लोगों को जगह देने की है। झामुमो कोटा से राज्य के कद्दावर समझे जाने वाले नेता मिथिलेश ठाकुर गढ़वा से चुनाव हार गये हैं। उन्हें भाजपा के पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने पराजित किया है। इसलिए सबसे पहले मिथिलेश ठाकुर के स्थान पर कौन नया मंत्री बनेगा, यह बड़ा सवाल झामुमो के साथ साथ कांग्रेस के अंदर भी उठ चुका है।
कांग्रेस की सोच पार्टी स्तर पर मंत्री कोटा को लेकर नहीं बल्कि मिथिलेश ठाकुर के विभाग को लेकर है। इसी तरह एक और कद्दावर मंत्री आलमगीर आलम के जेल में होने की वजह से उनका महत्वपूर्ण विभाग किसे मिलेगा, इस पर अभी माथापच्ची के बाद ही कोई हल निकल सकता है।
जमशेदपुर के पूर्व विधायक बन्ना गुप्ता इस बार चुनाव हार गये हैं। इसलिए स्वास्थ्य विभाग पर इंडिया गठबंधन के सभी दलों की नजर है, ऐसी चर्चा अभी से ही आम हो चुकी है। जो पूर्व में मंत्री थे, उनमें रामेश्वर उरांव के विभाग मे कोई फेरबदल होने की बहुत अधिक उम्मीद नहीं है। इसके अलावा हेमंत सोरेन के पास पूर्व में जो विभाग थे, उनपर भी दावेदारी पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। इन दोनों के अलावा शेष सभी पूर्व मंत्रियों के दोबारा जीतकर आने के बाद भी उनका विभाग वही रहेगा अथवा उसमें कोई तब्दीली होगी, यह बड़ा सवाल है।
सूत्रों की मानें तो अंदरखाने में चर्चा होने के बाद भी अब तक औपचारिक तौर पर इस एजेंडा पर कोई बातचीत नहीं हुई है। समझा जाता है कि सब कुछ ठोंक बजा लेने के बाद ही हेमंत सोरेन दूसरे सहयोगी दलों के बड़े नेताओं से बात चीत कर ही इस बारे में कोई फैसला लेंगे। जानकार मानते हैं कि कांग्रेस कोटा के मंत्रियों और उनके विभाग का फैसला रांची के स्तर पर नहीं होना है। संभवतः हेमंत सोरेन का दिल्ली दौरा और राहुल गांधी तथा मल्लिकार्जुन खडगे से भेंट के बाद ही यह गुत्थी सुलझ पायेगी।
झामुमो के अंदर भी इस बार फैसला विचार विमर्श के बाद होना है। दरअसल चंपई सोरेन और सीता सोरेन के प्रकरण के बाद झामुमो भी सहमा सहमा सा है। लिहाजा अनुभवी लोग मानते हैं कि तमाम वरिष्ठ लोगों से विचार विमर्श के बाद ही हेमंत सोरेन इस पर कोई फैसला इस बार लेंगे। इसलिए मंत्री पद की चाहत रखने वालों को भी अब ऊपर की राजनीति के पानी किस दिशा में बह रही है, इस पर ध्यान देना होगा। इसके बीच महिला विधायकों में से लॉटरी किसके नाम खुलेगी, इस पर भी सबकी निगाह रहेगी।