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ईडी की तोप का मुंह फिर उल्टी दिशा में

  • सिर्फ चेहरे बदल गये धंधा वही रहा है

  • दलालों को लाने वाले अफसर कौन थे

  • पहले भी होता रहा था यही गोरखधंधा

राष्ट्रीय खबर

रांचीः इस बार हेमंत सोरेन की सरकार को बचाने के लिए विधायक सरयू राय का कोई बयान भी नहीं आया है। इसके बाद भी ईडी की जांच जिस दिशा में बढ़ी है, उससे फिर से पूर्व की भाजपा सरकार में प्रभावशाली रहे कई लोग घेरे में आ जाएंगे।

दरअसल ईडी की तरफ से अनौपचारिक तौर पर यह दावा किया गया है कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट का सीधा रिश्ता झारखंड से भी है। इस एक अनौपचारिक बयान से पूर्व में रघुवर दास की सरकार द्वारा सरकारी स्तर पर शराब बेचने में की गयी गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।

दरअसल झारखंड में शराब का जो खेल हुआ है, वह पुराने पैटर्न पर ही है। सिर्फ बिचौलिये बदल गये हैं। लिहाजा जो पहले से इस धंधे में थे, उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है। पहले एक अधिकारी ने अपनी पहचान के लोगों के जरिए यह पूरा कारोबार संचालित किया और इस वजह से तब भी सरकार को राजस्व का घाटा हुआ।

यह तब भी कहा गया था कि घाटा सिर्फ झारखंड सरकार को हुआ है जबकि सरकार की ठेकेदारी करने वाले निजी लोग और उन्हें संरक्षण देने वाले अधिकारियों की जेबें गर्म हुई हैं। उस वक्त भी शराब के सरकारी गोदाम में चूहों द्वारा शराब पी लेने की बात सामने आयी थी।

सत्ता के दलालों की चर्चा होने तथा इस मामले में जेएससीए स्टेडियम में बने काउंटी क्लब में सेटिंग गेटिंग होने की चर्चा की वजह से जांच की दिशा फिर से पूर्व सरकार की तरफ जा सकती है। रघुवर दास के समय के एक अधिकारी मौके देखकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गये हैं।

प्रेम प्रकाश जैसे लोगों की कुंडली खंगालने पर ईडी को अब तक पता भी चल चुका होगा कि दरअसल उसे झारखंड की सत्ता में किस अधिकारी ने स्थापित किया था। लिहाजा फिर से मामला उल्टा पड़ता दिख रहा है। यह अलग बात है कि इस बार लपेटे में आये कुछ चेहरों का पूर्व में कोई लेना देना नहीं रहा है। फिर भी कौन से अधिकारी पहले की सरकार में क्या किया करते थे और किन ठेकेदारों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष लाभ पहुंचाने में किन किन अधिकारियों का हाथ रहा है, यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है।

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