-
एनएचपीसी ने मंजूरी मिलने का एलान किया
-
बाढ़ और सूखा दोनों में काम आयेगा यह डैम
-
भारत का सबसे ऊंचाई पर बनने वाला बांध होगा
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः एनएचपीसी ने अपनी कंपनी द्वारा अरुणाचल प्रदेश में 2,880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना के लिए पूर्व-निवेश गतिविधियों पर 1,600 करोड़ रुपये के व्यय और विभिन्न मंजूरी प्राप्त करने की घोषणा की है। इसके बाद ही एनएचपीसी के शेयरों में मंगलवार को सुबह के कारोबार में 2 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई।
वैसे इस एक फैसले से भारत सरकार चीन की उस चाल को भी विफल करना चाहती है जो उसने अपनी सीमा पर बहुत बड़ा डैम बनाकर किया है। इसी वजह से भारत ने चीन की सीमा से लगे पर्वतीय पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी अब तक की सबसे बड़ी पनबिजली परियोजना को मंजूरी दे दी है।
औपचारिक तौर पर एलान किया गया है कि देश बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नवीकरणीय उत्पादन का निर्माण करना चाहता है। सरकार द्वारा संचालित पनबिजली उत्पादक एनएचपीसी लिमिटेड ने सोमवार को कहा कि सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में 2,880 मेगावाट की दिबांग परियोजना के लिए 319 अरब रुपये (3.9 अरब डॉलर) के अनुमानित निवेश को मंजूरी दी है।
इस परियोजना के निर्माण में नौ साल लगने का अनुमान है। बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय क्षति और बांधों के निर्माण के लिए समुदायों के विस्थापन ने उन योजनाओं को बाधित किया है, स्थानीय विरोधों के कारण परियोजनाओं में देरी हुई है और निर्माण लागत में वृद्धि हुई है।
वैसे अरुणाचल में बनाया जाने वाले यह दिबांग बांध 5,000 हेक्टेयर (12,360 एकड़) से अधिक वन भूमि पर बनाया जाएगा। इससे अति संवेदनशील हिमालय क्षेत्र के पर्यावरण को भी खतरा है।
लेकिन चीन ने अपनी सीमा के भीतर बड़ा बांध बनाकर ब्रह्मपुत्र के जरिए भारत को परेशानी में डालने की तैयारी की है, इसका एहसास सभी को है। वह अपने डैम के जरिए ब्रह्मपुत्र का पानी रोक सकता है या फिर डैम के गेट खोलकर असम सहित पूर्वोत्तर के इलाके में बाढ़ के हालात पैदा कर सकता है।
केंद्र सरकार इन दो खतरों को थामने के लिए अपने यहां डैम बनाकर अतिरिक्त जल को थामने की तैयारी कर रही है। हिमालयी क्षेत्र में कई अन्य परियोजनाएं अपने मूल समय से वर्षों पीछे चल रही हैं, जिनमें से कुछ पर पृथ्वी को ढीला करने और स्थानीय लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया है।
सरकार ने परियोजना के लिए बाढ़ नियंत्रण घटक के लिए 6,159.40 करोड़ रुपये और बुनियादी ढांचे (सड़कों / पुलों आदि) को सक्षम करने के लिए 556.15 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन को भी मंजूरी दी है।
यह परियोजना निम्न दिबांग घाटी जिले में दिबांग नदी पर स्थित है। इसमें 278 मीटर ऊंचे का निर्माण शामिल है। कंक्रीट ग्रेविटी बांध, जो एक बार पूरा हो जाने के बाद भारत में सबसे ऊंचा बांध होगा। दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना की परिकल्पना भंडारण आधारित जलविद्युत परियोजना के रूप में की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण है। लेकिन इसके जरिए चीन की चाल को भी विफल किया जा सकेगा।