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नागपुर: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के बयान से महाराष्ट्र की राजनीति फिर से गरमाने लगी है। तेरह महीनों तक जेल में रहने के बाद रिहा होने वाले अनिल देशमुख पहली बार नागपुर आये थे। उन्होंने पहली बार यह राज खोला कि उन्हें पहले ही महाविकास अघाड़ी की सरकार को गिराने का प्रस्ताव दिया गया था।
बता दें कि भ्रष्टाचार और मनी लॉंड्रिंग के आरोप में वह तेरह महीने तक जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आये हैं। रविवार को उन्होंने दावा किया कि उन्हें एक प्रस्ताव दिया गया था जिसे स्वीकार कर लेने पर उद्धव ठाकरे की सरकार काफी पहले ही गिर चुकी होती।
श्री देशमुख, जिन्हें नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था और पिछले साल 28 दिसंबर को जमानत पर रिहा किया गया था। सेवाग्राम में सामूहिक वन अधिकारों के राज्य-स्तरीय सम्मेलन में बोल रहे थे, जिसमें ग्राम सभाएं और नदी और वन संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन शामिल थे।
उन्होंने कहा, मुझे जेल में एक प्रस्ताव दिया गया था, जिसे मैंने अस्वीकार कर दिया था। अगर मैंने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता, तो महा विकास अघाड़ी सरकार ढाई साल पहले गिर जाती। लेकिन मैं न्याय में विश्वास करता हूं, इसलिए अदालत का फैसला होने का इंतजार किया।
उद्धव ठाकरे की एमवीए सरकार पिछले साल जून में गिर गई थी जब शिवसेना के कई विधायकों ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत कर दी थी, जो भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे।
देशमुख ने दावा किया, शिवसेना के 40 विधायकों ने मूल पार्टी छोड़ दी और भाजपा के साथ सरकार बनाई क्योंकि उन्हें प्रववर्तन निदेशालय द्वारा कार्रवाई की धमकी दी गई थी। मुझे 14 महीने के लिए संगीन आरोपों के तहत जेल में डाल दिया गया था। हालांकि, मैंने कभी हार नहीं मानी।