इस रोबोट का काम काज जानकर हैरान हो जाएंगे आप
फिनलैंड के विश्वविद्यालय में रोबोटिक्स का नया प्रयोग सफल हुआ

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हवा से ऊर्जा प्राप्त करता है यह
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लंबी दूरी तक उड़ने लायक रहता है
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कई कार्यों में इसका बेहतर इस्तेमाल
राष्ट्रीय खबर
रांचीः यह अपने किस्म का ऐसा रोबोट है जो किसी काल्पनिक परिकथा का एहसास करा देता है। फिनलैंड के टैमपेरे विश्वविद्यालय के शोध दल ने इसे तैयार किया है।
इसकी खासियत यह है कि यह एक साफ्ट रोबोट है, जो हवा से ऊर्जा प्राप्त कर उड़ता है तथा अपने उड़ने से मिली ऊर्जा से रोशनी प्रदान करता है। इस प्रयोग के सफल होने के बाद भी समझा जा रहा है कि इस किस्म का साफ्ट रोबोट आने वाले दिनों में औद्योगिक और सैनिक कार्रवाइयों में अधिक कारगर सिद्ध होगा।
वरना इससे पहले ऐसे रोबोट बन चुके हैं जो ऊंची छलांग लगा सकते हैं, पानी में किसी मछली की तरह तैर सकते हैं और किसी भी सतह पर आपस में मिलकर बड़ा काम भी कर लेते हैं। हाल ही में ऐसा साफ्ट रोबोट भी तैयार हुआ है जो जरूरत पड़ने पर पिघल जाता है और काम होने के बाद फिर से ठोस अवस्था में आ जाता है।
टैमपेरे विश्वविद्यालय के जिस शोध दल ने यह काम किया है, उसे लाइट रोबोट्स ग्रूप का नाम दिया गया है। वे काफी समय से उड़ने वाले रोबोट के लिए परीक्षण करते आ रहे हैं। पहले भी इस दल को रोबोट को उड़ाने में सफलता मिली है।
अब इसी क्रम में एक नयी तकनीक से नया रोबोट बनाया गया है। इस शोध दल के नेता हाओ झेंग हैं तथा उनके साथ जियानफेंग यांग ने यह काम किया है। इस नये रोबोट के प्रोजेक्ट का नाम फेयरी रखा गया था।
वैसे अंग्रेजी में इस फेयरी का अर्थ परी से संबंधित होने के बाद भी इस प्रोजेक्ट को दरअसल फ्लाइंग एयरो रोबोट्स बेस्ड ऑन लाइट रेसपॉंसिव मैटेरियल असेंबली का नाम मिला है। इस नई तकनीक के क्रम में एक ऐसा नया पॉलिमर विकसित किया गया जो रोबोट को उड़ने की ताकत हवा से प्रदान करता है। इसे नियंत्रित करने के लिए रोशनी का इस्तेमाल किया जाता है।
इसे बनाने में जिस पॉलिमर का प्रयोग किया गया है वह अत्यंत सुक्ष्म छिद्रों वाला है। इसलिए वह हल्का है और हवा की दिशा में उड़ते हुए रोशनी से निर्देशित होता है। शोध दल का दावा है कि इसकी बनावट की वजह से यह काफी लंबे समय तक और हवा के रुख के आधार पर अधिक दूरी तक उड़ सकता है।
इसकी ऊर्जा के लिए एक रोशनी का स्रोत उसमें जोड़ा गया है। इसे लेजर बीम या एलइडी के साथ भी संचालित किया जा सकता है। मजेदार बात यह है कि हवा में उड़ते समय यह हवा के रुख के अनुसार ही अपने आकार को भी बदल सकता है। शोध दल का मानना है कि इसका बेहतर उपयोग कृषि कार्यों में किया जा सकेगा।
अब रोबोटिक्स के वैज्ञानिक इसके मूल संरचना के पदार्थ को और मजबूत बनाने पर काम कर रहे हैं। इसका मकसद ऐसे रोबोट को सूरज की रोशनी से भी उड़ने लायक बनाना है। इसके आकार को भी बढ़ाने पर काम चल रहा है ताकि यह खेतों तक जैव रसायनिक पदार्थ ले जा सके।
साथ ही इसका जीपीएस और सेंसर के साथ भी उपयोग के लायक बनाया जाना इसका मकसद है। किसी इलाके में बीज के छिड़काव में भी हवा में उड़ने वाला यह रोबोट इंसानों की मदद कर सकता है।
अभी रोबोटिक्स के वैज्ञानिक इसके उतरने के स्थान को और सुनिश्चित करने पर काम कर रहे हैं। साथ ही इस पदार्थ का बार बार इस्तेमाल कैसे हो तथा इस्तेमाल के लायक नहीं रहने के बाद उसे प्रकृति के अनुकूल नष्ट कर उसका निष्पादन कैसे किया जाए, इस पर काम चल रहा है। इसके लिए शोध दल ने माइक्रोरोबोटिक्स और मैटेरियल वैज्ञानिकों का भी सहयोग लिया है।