राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान केंद्र सरकार पर पक्षपात के गंभीर आरोप लगाये हैं। इन मुद्दों पर भाजपा की तरफ से कोई गंभीर सफाई तो नहीं दी गयी अलबत्ता राहुल के आक्रामक तेवर के बाद खुद गौतम अडाणी को मीडिया से बात करने पर मजबूर होना पड़ा।
इस बात चीत पर भी अनेक सवाल उठ गये जबकि गौतम अडाणी ने अपनी तरक्की के लिए स्वर्गीय राजीव गांधी का भी नाम लिया। इस उठापटक के बीच ही एक अमेरिकी फर्म द्वारा अडाणी समूह पर स्टॉक और एकाउंट में गड़बड़ी करने का आरोप जड़ दिया गया है। इस रिपोर्ट को अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने जारी किया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी ग्रुप कई सालों से स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है। अडाणी समूह पर भारी कर्ज को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि वह गौतम अडाणी की कंपनियों के शेयर बेचकर जल्द ही निकल लेगी क्योंकि समूह भारी कर्जें में है। कहा गया है कि अडाणी समूह ने टैक्स हेवन्स में कंपनियाँ खड़ी करने की सुविधा का नाजायज़ फायदा उठाया है।
लिखा है कि रिसर्च फर्म ने दावा किया है कि यह रिपोर्ट दो साल की तहकीकात के बाद जारी की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी ग्रुप कई सालों से स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह रिपोर्ट जारी करने से पहले रिसर्च फर्म ने अडाणी समूह में काम कर चुके कई वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की।
हजारों दस्तावेजों की पड़ताल की और लगभग आधा दर्जन देशों में अडाणी समूह के ऑफिसों के चक्कर काटे हैं। इस रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह की तरफ से आरोपों की सफाई दी गयी है। इस स्पष्टीकरण के बाद रिसर्च कंपनी ने उल्टे अडाणी समूह को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर रिपोर्ट की सत्यता पर उन्हें संदेह है तो उन्हें अमेरिकी अदालत में आना चाहिए।
हिंडेनबर्ग का कहना है कि अडाणी समूह के फाउंडर और चेयरमैन गौतम अडाणी की संपत्ति 120 अरब डॉलर (करीब 9.8 लाख करोड़ रुपये) है। इसमें से 100 अरब डॉलर (करीब 8 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा का इजाफा पिछले तीन साल में हुआ। इसका कारण समूह की सूचीबद्ध सात कंपनियों के शेयरों में आई जबरदस्त तेजी रही है।
इनमें इस दौरान अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में औसतन 819 फीसदी का उछाल आया है.’रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी की प्रमुख कंपनियों ने मोटा कर्ज ले रखा है। इसके चलते समूह की सात सूचीबद्ध कंपनियों में से पांच का ‘करेंट रेशियो ‘ 1 से नीचे है। इससे पहले अगस्त, 2022 में फिच ग्रुप की रिसर्च फर्म क्रेडिटसाइट्स ने भी अडाणी समूह के कर्ज पर चिंता जताई थी। बार बार यह कहा गया था कि अडाणी ग्रुप आक्रामक तरीके से कारोबारी विस्तार कर रहा है जिससे कंपनी पर वित्तीय दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है और कंपनी का कैश फ्लो भी घट रहा है।
अगर हालात बिगड़े तो कंपनी कर्ज के जाल में बुरी तरह फंस सकती है। क्रेडिटसाइट्स के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का कर्ज 2.2 लाख करोड़ रुपये हो गया था। हालांकि बाद में अपनी रिपोर्ट में खामियों को स्वीकार करते हुए कहा है कि अडाणी समूह की कंपनियों को लेकर उसके कैलकुलेशन में गलती की थी।
लेकिन भारतीय परिपेक्ष्य में इसका प्रभाव शेयर बाजार में देखने को मिला, जहां अडाणी की कंपनियों के शेयर के भाव गिरे तो कंपनी को करीब चालीस हजार करोड़ का नुकसान होने का आकलन किया गया है। दूसरी तरफ हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अडाणी समूह पर मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार से जुड़े चार मामलों की जांच चल रही है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक अडाणी फैमिली के सदस्य भी, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात और कैरेबियाई द्वीप समूह जैसे टैक्स हेवन में शेल कंपनियों का संचालन करते हैं और इन पर भी धोखाधड़ी का आरोप है। अडाणी ग्रुप के सीएफओ जुगशिंदर सिंह ने कहा है कि कंपनी पर जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं वे सही नहीं हैं और यह दुर्भावना से प्रेरित हैं ।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को लेकर तथ्यों की पुष्टि के लिये उससे कोई संपर्क नहीं किया गया। उन्होंने कहा है कि इस रिपोर्ट में बहुत सारी गलत बातें कही गई हैं, जिनका कोई आधार नहीं है। यह रिपोर्ट अडाणी ग्रुप की छवि को खराब करने की कोशिश है। लेकिन सरकार के स्तर पर कर्जमाफी का कितना लाभ इस कंपनी को मिला है, यह सवाल अनुत्तरित है। देश की सारी पूंजी चंद लोगों के हाथों सौंपने का आरोप अब अमेरिकी रिपोर्ट के बाद पुख्ता होता नजर आ रहा है।