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आपका क्या होगा जनाब-ए-आली.. …

आपका मतलब आपको संबोधित नहीं है। किसी किस्म के कंफ्यूजन में मत रहिये भाई साहब। यहां तो आपका मतलब आम आदमी पार्टी से है। एक कहावत है चौबे गये थे छब्बे बनने दूबे बनकर आये। गुजरात में खाता खुल गया लेकिन वहां के दोनों सेनापति इस तरीके से पिट गये कि क्या कहें। ऊपर से अब दिल्ली में नगर निगम चलाने की बारी है। ढेर सारा वादा कर रखा है। उन वादों को बिना उपराज्यपाल की मंजूरी के लागू कैसे करेंगे, यह सवाल तो जायज है।

पहले भी कई बार हमलोग देख चुके हैं कि दिल्ली की सरकार वनाम उप राज्यपाल के विवाद का नतीजा क्या निकला है। यह तो सभी जानते हैं कि पहले ही केंद्र की भाजपा सरकार को वहां आपका होना पसंद नहीं आया था। ऊपर से बार बार चंद दिन के लड़के चुनौती भी देते फिर रहे थे। इसलिए औकात बताने के लिए कई किस्म के दांव लगाये। सत्येंद्र जैन अभी तक जेल के अंदर बंद हैं और उन्हें भी पता है कि जरा की उलट फेर की तो फिर से वीडियो सामने आ जाएगा। बेचारे अंदर ही रह गये और उधर हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का चुनाव भी हो गया।

आबकारी घोटाला में मनीष सिसोदिया के यहां भी छापा पड़ा। खूब प्रचार हुआ लेकिन अंतिम समय में सीबीआई ने चार्जशीट ने नाम ही हटा दिया। हो हल्ला मचा तो सीबीआई ने सफाई दी कि जांच चल रही है और आगे सबूत मिले तो उन्हें फिर से अभियुक्त बनाया जा सकता है। लेकिन भइया जब पहली कार्रवाई ही इस दिल्ली के डिप्टी सीएम के खिलाफ हुई थी तो वह बेदाग कैसे छूट गया। दिल्ली के एलजी साहब ने तो लंबा चौड़ा पत्र लिखा था। पता नहीं कहां से क्या गेम हो गया है।

लेकिन अब राष्ट्रीय पार्टी बन जाने से दिल्ली की जिम्मेदारियां कैसे पूरी होंगीं, यह बड़ा सवाल है। कांग्रेस के दो पार्षदों को अपने में शामिल कराकर आपने भी साबित कर दिया कि वह भी उसी राजनीति के रास्ते पर बढ़ रही है, जिसका विरोध करने वह मैदान में आये थे। यह अलग बात है कि दोनों पार्षदों ने फिर से पाला बदलकर कांग्रेस में शामिल होने का एलान कर दिया है।

इसी बात पर अपने जमाने (1981) की एक सुपरहिट फिल्म लावारिश का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था कल्याण जी आनंद जी ने इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था जबकि इसे पर्दे पर महानायक अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया था। गीत के बोल कुछ ऐसे हैं।

देखें वह वीडियो 

https://www.youtube.com/watch?v=PshHhvkvcbw

अपनी तो जैसे-तैसे, थोड़ी ऐसे या वैसे कट जाएगी

आपका क्या होगा जनाब-ए-आली आपका क्या होगा

अपने आगे ना पीछे, ना कोई ऊपर-नीचे रोने वाला

ना कोई रोने वाली जनाब-ए-आली

आपका क्या होगा

आप भी मेरी तरह इन्सान की औलाद हैं

आप मुँह माँगी दुआ, हम अनसुनी फ़रियाद हैं

वो जिन्हें सारा ज़माना समझे लावारिस यहाँ

आप जैसे ज़ालिमों के ज़ुल्म की ही ईजाद हैं

गाली हज़ूर की तो, लगती दुआओं जैसी

हम दुआ भी दें तो लगे है गाली

आपका क्या होगा। । ।

आपके माथे से छलके जो पसीना भी कहीं

आसमाँ हिलने लगे और काँप उट्ठे ये ज़मीं

आपका तो ये पसीना ख़ून से भी क़ीमती

और अपने ख़ून की क़ीमत यहाँ कुछ भी नहीं

अपना तो ख़ून पानी, जीना-मरना बेमानी

वक़्त की हर अदा है अपनी देखी-भाली

आपका क्या होगा। । ।

खैर गुजरात में जो कुछ हुआ उसके बाद अब भाजपा के सारे नेताओँ को भी सोचना है कि आपका क्या होगा जनाब। इतने सारे लोगों का टिकट काट देने के बाद भी जब ऐसा रिजल्ट अकेले मोदी के नाम पऱ आया तो क्या दूसरे नेताओँ की कोई औकात बचेगी भी। यह अलग बात है कि भारी भरकम बहुमत होने के बाद भी हिमाचल प्रदेश के चुनाव तथा अन्य उपचुनावों के परिणामों की वजह से ऑपोजिशन फिर से पोजिशन पर यानी मोर्चे पर डट गया है।

बहुमत के आधार पर अपना काम पूरा करने के बाद भी अब भाजपा की परेशानी यह है कि वह चाहकर भी अपना एजेंडा सेट नहीं कर पा रही है। राजस्थान तक पैदल चलकर पहुंचे राहुल गांधी ने अपनी जनसभाओँ में भीड़ एकत्रित कर उनकी नाक में दम कर रखा है। हर बार उन्हीं सवालों को उठा रहे हैं, जिससे केंद्र सरकार बचना चाहती है। रही सही कसर किसानों की बैठक ने पूरी कर दी। एलान कर दिया कि फिर से किसान आंदोलन होगा।

अपने हेमंत भइया मजे में हैं। स्थानीयता और नियोजन नीति का गेम ऐसा कर दिया है कि सांप भी मर गया है और लाठी भी नहीं टूटी। अब ईडी बेचारी क्या करे। जहां हाथ डाल रही है पूर्व की भाजपा सरकार के कारनामे बाहर आ रहे हैं। जांच एजेंसी को भले ही समझ में नहीं आये लेकिन आम पब्लिक इसे पेंच को अच्छी तरह समझ चुकी है। इसलिए कहते थे भइया सरयू राय जैसे जिद्दी व्यक्ति को नाराज मत करो। अब बात बात पर नया सबूत लेकर खड़े हो जाते हैं। भाजपा के नेताजी को कौन बताये कि अब आपका क्या होगा जनाब-ए-आली।

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