- रोशनी के आधार पर चोट की पहचान करता है
- ऐसे पदार्थ से बना है जो उसकी मरम्मत करता है
- काफी हद तक इंसानी चमड़े के जैसा आचरण है
राष्ट्रीय खबर
रांचीः अब रोबोट खुद ही अपने ऊपर हुए किसी भी नुकसान को खुद ही बिना किसी बाहरी मदद के ठीक कर सकेंगे। यह परीक्षण सफल होने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य में रोबोटिक्स की दुनिया में इस एक काम की बदौलत काफी कुछ बदलाव होगा। वर्तमान में रोबोटों का इस्तेमाल अनेक कार्यों में किया जा रहा है लेकिन वे अपने अंदर की टूटफूट को ठीक नहीं कर सकते हैं।
किसी भी किस्म का नुकसान होने की स्थिति में उसके नियंत्रण करने वाले उपकरण से खराबी का पता लगाया जाता है। उसके बाद खराब हो चुके हिस्से को या तो बदला जाता है अथवा उसकी मरम्मत की जाती है। इस परेशानी को अब शायद दूर कर लिया जा सकेगा।
इस काम को अंजाम दिया है कार्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने। उन्होंने एक ऐसा साफ्ट रोबोट तैयार किया है, जो अपनी अंदर के नुकसान को न सिर्फ समझ सकता है बल्कि उसे खुद ही ठीक भी कर सकता है।
इस बारे में वहां के एसोसियेट प्रोफसर रॉब शेफार्ड ने बताया कि काफी पहले से रोबोटों को निरंतर सक्रिय रखने की तकनीक पर विचार किया जा रहा है। इसके रास्ते में उनके अंदरूनी खराबी आड़े आती रही है। इसलिए परीक्षण के दौरान पहले तो साफ्ट रोबोट तैयार किया गया है।
नर्म ढांचे के इस रोबोट में खास विशेषताएं जोड़ी गयी हैं। इसका मकसद अधिक समय तक रोबोट को काम पर लगाना था। वरना बीच मे किसी भी किस्म की खराबी आने की स्थिति में वह काम करना बंद कर देता था। इस विश्वविद्यालय के आर्गेनिक रोबोटिक्स प्रयोगशाला ने एक खास फाइबर से ऑप्टिक सेंसर तैयार किये हैं।
इनका इस्तेमाल साफ्ट रोबोट बनाने में किया गया है। इस सिंथेटिक की विशेषता यह है कि यह चमड़े के जैसा आचरण करता है। इसके खुद ही अपनी मरम्मत करने के लिए उसे इस गुण से युक्त करना जरूरी था कि वह यह खुद ही समझ सके कि गड़बड़ी कहां हैं।
इस काम को अंजाम देने के लिए शोध दल ने इसमें एलईडी लाइट की तकनीक जोड़ दी ताकि कहीं पर भी खराबी आने की स्थिति में वह इस रोशनी के प्रवाह के आधार पर यह समझ सके कि गड़बड़ी किस जगह पर है। इन सेंसरों को पॉलियूरूथेन यूरिया इलास्टोमीटर से जोड़ा गया है।
इस वजह से वे हाइड्रोजन बॉंडिंग की बदौलत तुरंत ही किसी स्थान की मरम्मत कर सकते हैं। परीक्षण के दौरान ऐसे रोबोट को काटा भी गया था। सामान्य तापमान पर ही इस साफ्ट रोबोट ने काटे गये स्थान की खुद ही मरम्मत कर ली। शोध दल ने बताया है कि इसमें जो पदार्थ लगाया गया है वह मजबूत है और जल्दी नष्ट नहीं होता है।
प्रोफसर शेफार्ड के मुताबिक इस साफ्ट रोबोट का आचरण काफी हद तक इंसानी चमड़े के जैसा है। इसलिए वह आग से खुद को नहीं बचा पाता है। ताप अथवा एसिड के संपर्क में आने पर उसकी रासायनिक संरचना ही बदल जाती है। लेकिन सामान्य किस्म की काटछांट को वह खुद ही सुधारने की क्षमता रखता है।