कियेबः यूक्रेन के अनेक इलाके अब भी रूसी मिसाइलों का हमला झेल रहे हैं। खास तौर पर डोनोस्क इलाके में यह हमला और तेज हो गया है। यहां के बारे में पहले दावा किया गया था कि रूसी सेना यहां मोर्चा खाली कर चुकी है। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने हाल ही में जो राय दी थी, घटनाक्रम उससे उलटे साबित हो रहे हैं। अमेरिकी विशेषज्ञों ने माना था कि अब रूस के पास मिसाइलों की बहुत कमी हो चुकी है। इस वजह से अब रूस मिसाइलों का हमला जारी नहीं रख सकता है।
यह आकलन पिछले दो दिनों के घटनाक्रम से गलत साबित हुआ है। अब तो शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी मिसाइल गिरने लगे हैं। यहां पहुंचे संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने भी माना है कि रूसी हमले में अब तक साढ़े छह हजार से अधिक यूक्रेन के नागरिक मारे गये हैं। वैसे मरने वालों की तादाद अधिक भी हो सकती है क्योंकि कई इलाकों का सही विवरण अब तक नहीं मिल पाया है।
ठंड के लगातार बढ़ते जाने के बीच यह स्थिति यूक्रेन के लोगों के लिए कठिन होती जा रही है। दक्षिणी खेरसोन से रूसी सेना के चले जाने के बाद अब यूक्रेन के नागरिकों को भी मजबूरी में हटना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति इसलिए है क्योंकि वहां अब लोगों के रहने के लिए न्यूनतम सुविधाएं भी नहीं बची हैं। वहां फिर से व्यवस्था बनाने में अभी समय लगना तय है। बिजली संयंत्रों को हुए नुकसान की वजह से पूरे देश में बिजली संकट कायम है। ठंड के मौसम में यह स्थिति और भी विकट होती चली जा रही है।
इससे पहले अमेरिका ने माना था कि अब रूस के पास मिसाइलों का जो भंडार है, उससे वह सिर्फ तीन बड़े हमले ही कर सकता है। पिछले दो दिनों से जो हमला हुआ है, उससे यह अमेरिकी आकलन गलत प्रमाणित हो चुका है। पहले यह दावा किया गया था कि यूक्रेन को मिली अत्याधुनिक हथियारों से भी रूसी सेना को बहुत नुकसान हुआ है। अब हमला जारी रहने के बाद यह कहा जाने लगा है कि रूस ने किसी दूसरे देश से भी चुपके चुपके मिसाइल हासिल किये हैं। इस मुद्दे पर पहले ही ईरान और उत्तर कोरिया पर आरोप लग चुका है।