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हार के बाद भी दोबारा मैदान में लगे हैं सुदेश महतो

सुस्त पड़ी प्रदेश की राजनीति में निरंतर सक्रिय है आजसू संगठन

  • कोरोना काल में भी सक्रिय था यह संगठन

  • इस बार मंइयां सम्मान की मार से बेहाल

  • लगातर सक्रियता का लाभ आगे मिलेगा

राष्ट्रीय खबर

रांचीः राज्य के तमाम दलों की राजनीतिक गतिविधियां अब शायद सिर्फ बयान जारी करने तक सीमित हो गयी है। इसके बीच ही ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन नये सिरे से खुद को संगठित करने के प्रयासों में जुटा हुआ है। राज्य गठन के बाद से ही सुदेश महतो राजनीति के आकाश में एक धूमकेतु की तरह उभरे थे।

राज्य के राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे बने कि वह उप मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचे। इसके बाद भी जमीन से अपने जुड़ाव को उन्होंने कभी कम नहीं होने दिया। इस बार झारखंड के विधानसभा चुनाव में आजसू को जबर्दस्त झटका लगा है और उसके कई दिग्गज मंइयां सम्मान की लहर में हार गये। इस हार के बाद भी सुदेश महतो ने चंद दिनों की चुप्पी के बाद से फिर से अपनी सक्रियता बढ़ा दी है।

दरअसल आजसू की मजबूती का एक राज शायद यही निरंतर संगठन का काम जारी रखना है। कोरोना काल में जब सारे नेता घरों में कैद हो गये थे, तब भी सुदेश महतो ने हर तरीके से संगठन में नये नये लोगों को जोड़ने का काम जारी रखा था। अब नये सिरे से वही अभ्यास प्रारंभ होने की वजह से आजसू की जमीनी ताकत फिर से मजबूत होती नजर आने लगी है।

बाकी संगठनों की मजबूती का काम दफ्तरों में बैठकर चल रहा है। इसके बीच ही पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में केंद्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने पार्टी पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे संगठन को मजबूत करने में जुट जाएं। बैठक को डॉ देवशरण भगत, प्रवीण प्रभाकर आदि ने संबोधित किया।

बैठक में तय किया गया कि 9 मार्च को रांची में दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के प्रखंड प्रभारियों को कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसकी तैयारी के लिए प्रमंडल एवं जिला प्रभारियों की सूची घोषित की गई। इसके अलावा हर स्तर पर संगठन में नये लोगों को जोड़ने का काम भी चल रहा है। केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो के समक्ष आज कई बुद्धिजीवियों ने आजसू पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

डॉ. रोहित कुमार महतो (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय), विभोर नागद्वार (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय), इंजीनियर राकेश टुडू, इंजीनियर कृष्ण मुरारी बेदिया, पवन कुमार, बुलंद बेदिया, मनोज बेदिया तथा कई अन्य बुद्धिजीवी आजसू परिवार का हिस्सा बने। इससे साफ है कि कोरोना काल से सुदेश ने संगठन को मजबूती देने का जो बीड़ा उठा रखा है, उस पर वह हर दिन एक कदम की नीति पर चल रहे हैं। जाहिर है कि संगठन की इस मजबूती के प्रयास का चुनावी लाभ भी उन्हें भविष्य में मिल सकता है।

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