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मनमोहन सिंह राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में हुए विलीन

निगम बोध घाट पर हुआ अंतिम संस्कार

  • कांग्रेस कार्यालय से निकली शवयात्रा

  • राष्ट्रपति और पीएम सहित अनेक शामिल

  • कई विदेशी अतिथियों ने भी इसमें शिरकत की

नईदिल्लीः पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का शनिवार को यहां निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। डॉ सिंह के अंतिम संस्कार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, भूटान नरेश जिग्मे खेसर नमगायेल वांगचुक, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू, भाजपा अध्यक्ष तथा केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ ही कई केंद्रीय मंत्री, राजनयिक तथा अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए।

इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया जहां उनके परिवार के सदस्यों के साथ ही कांग्रेस में कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को काफिले के साथ निगमबोध घाट लाया गया। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोग उमड़े, लेकिन निगम बोध घाट पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त होने के करण जो लोग कांग्रेस मुख्यालय से शव यात्रा में करीब 11 किलोमीटर पैदल चलकर घाट पर पहुंचे उनमें सबको अंदर जाने नहीं दिया गया।

डॉ सिंह 2004 से 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले 1991 में पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने देश में उदारवादी आर्थिक सुधार लागू किया जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नई रिपीट नई ऊंचाई मिली। वर्ष 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद कैम्ब्रिज से प्रथम श्रेणी से अर्थशास्त्र (ओनर्स) कर उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड से डीफिल किया।

वर्ष 1971 में भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार, 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे और 1980 से 82 तक योजना आयोग के सदस्य बने। डॉ सिंह 1982-1985 तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे और साल 1985 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने। फिर वह 1990 में प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार नियुक्त हुए। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में भी प्रोफेसर रहे।

डॉ मनमोहन सिंह के पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए एक अलग स्थान आवंटित नहीं किए जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच राजनीतिक विवाद बढ़ गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री का जानबूझकर अपमान किया जा रहा है। वहीं भाजपा ने कहा है कि डॉ मनमोहन सिंह के सम्मान में एक स्मारक बनाया जाएगा और इसके लिए भूमि अधिग्रहण, ट्रस्ट के गठन और भूमि हस्तांतरण जैसी प्रक्रियाओं के पूरा होने में समय लगेगा।

कांग्रेस ने नेता जयराम रमेश ने कल देर रात एक्स पर अपनी एक पोस्ट में लिखा कि आज सुबह कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर प्रस्ताव दिया था कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए एक स्मारक बनाया जा सके।

देश के लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि भारत सरकार उनके वैश्विक कद, उत्कृष्ट उपलब्धियों के रिकॉर्ड और दशकों तक राष्ट्र की उल्लेखनीय सेवा के अनुरूप उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए कोई स्थान क्यों नहीं ढूंढ सकी। यह कुछ और नहीं, भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का जानबूझकर किया गया अपमान है।

इस पर भाजपा के प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज सुबह कहा कि देश के आर्थिक विकास का एक प्रमुख आधार रहे नेता को समुचित सम्मान देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया कि डॉ मनमोहन सिंह की याद में एक स्मारक और समाधि बनाई जाएगी और ये बात कांग्रेस पार्टी को बता दी गई। डॉ त्रिवेदी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बताया है कि सरकार ने एक स्मारक बनाने का फैसला किया है।

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