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ताजमहल पर एक करोड़ से ज्यादा का कर बाकी जब्त करने की चेतावनी

भाजपा शासित निगम में अब करोड़ रुपये की वसूली की नई चाल

  • नोटिस में जल कर का सबसे अधिक बकाया

  • राष्ट्रीय धरोहर घोषित है यह पर्यटन स्थल

  • ऐसे स्मारकों पर कर का भुगतान नहीं होता

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः भाजपा के कब्जे वाली आगरा नगर निगम ने अब ताजमहल को जब्त करने की चाल चली है। नगर निगम की तरफ से ताजमहल प्रशासन को बकाया कर अदा करने की नोटिस जारी की गयी है। इसमें बताया गया है कि ताजमहल पर नगर निगम का करोड़ रुपये से ज्यादा कर बकाया है। पहली बार ऐसी नोटिस जारी कर इसे जब्त करने की चेतावनी भी दी गयी है।

दूसरी तरफ इस किस्म की नोटिस से भारतीय पुरातत्व विभाग हैरान है। नगर निगम ने जल कर के मद में एक करोड़ 90 लाख रुपया बकाया होने की बात कही है। दूसरी तरफ इस संपत्ति पर संपत्ति कर के मद में भी डेढ़ लाख रुपया बकाया गया है। दरअसल काफी समय से ताजमहल को तेजो महादेव का मंदिर बनाने का खेल जारी है। इसलिए इस नोटिस को भी उसी नजरिए से देखा जा रहा है।

भाजपा द्वारा संचालित इस नगर  निगम ने पिछले दो साल के संदर्भ में ही नोटिस जारी किया है। इसमें भारतीय पुरातत्व विभाग को यह बकाया चुकाने की चेतावनी के साथ साथ कहा गया है कि बकाया कर नहीं देने की स्थिति में नगर निगम अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए इस संपत्ति को जब्त कर लेगा। नोटिस में बकाया भुगतान के लिए पंद्रह दिन का समय दिया गया है।

दूसरी तरफ भारतीय पुरातत्व विभाग मानते हैं कि राष्ट्रीय धरोहरों और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थलों पर ऐसे नियम लागू नहीं किये जाते हैं। यहां पर कोई व्यापारिक गतिविधियां नहीं होती हैं। एएसआई के अधीक्षक राजकुमार पटेल ने मीडिया को बताया है कि पुरातत्व विभाग इस राष्ट्रीय धरोहर के लिए कर तो क्या जल भी देने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि यहां जल का भी कोई व्यापारिक प्रयोग नहीं किया जाता है।

उन्होंने कहा कि इस ताजमहल के परिसर में जो बगीचा है, उसकी सही देखरेख के लिए ही इस पानी का प्रयोग किया जाता है। उनके मुताबिक नगर निगम की तरफ से पहली बार ऐसी नोटिस जारी की गयी है। वैसे वह मानते हैं कि शायद किसी भूलवश नगर निगम ने ऐसी नोटिस जारी कर दी है अथवा उनके पास सही जानकारी का अभाव है।

विवाद बढ़ने के बाद नगर आयुक्त निखिल टी फुंदे ने कहा कि उन्हें कर नोटिस जारी होने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। नई व्यवस्था के तहत जीआईएस पद्धति का इस्तेमाल कर नोटिस भेजा जाता है। इसलिए अधिकांश निर्माण स्थलों पर यह नोटिस अपने आप ही जारी हो जाती है।

अब अगर नोटिस जारी हो चुका है तो भारतीय पुरातत्व विभाग इस नोटिस का क्या उत्तर देता है, उसके बाद आगे का फैसला किया जाएगा। पुरातत्व विभाग के मुताबिक 1920 में ब्रिटिश शासन के दौरान ही ताजमहल को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था। तब से आज तक ऐसी कार्रवाई पहले कभी नहीं हुई है। दूसरी तरफ विवाद बढ़ने के बाद नगर निगम के लोग दावा कर रहे हैं कि जिस निजी एजेंसी को नोटिस जारी करने का काम दिया गया है, उसकी तरफ से ऐसी नोटिस जारी की गयी है।

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