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देखते ही देखते सब कुछ निगल गया पानी

  • सप्ताह भर से आगे बढ़ रही थी नदी

  • पूरा इलाका असुरक्षित घोषित किया गया

  • लोगों का घर और खेत सारा कुछ समाया नदी में

राष्ट्रीय खबर

मालदाः लोग कई दिनों से देख रहे थे कि कटाव धीरे-धीरे करीब आ रहा था। बुधवार को ही वहां के अनेक परिवारों के लोग जल्दबाजी में घर से निकल गए। फिर भी वे अपने पुश्तैनी घर के आस पास मौजूद थे और यह देख रहे थे कि कैसे गंगा की जलधारा धीरे धीरे उनके करीब आती जा रही है। मदमस्त नदी और उफनती जलधारा को देखते-देखते रात की नींद हराम हो गई। गुरुवार की सुबह ज्वार के खिंचाव से देखते ही देखते दो पूरे घर गंगा में समा गये। बेघर लोगों के पास कुछ फीट दूर खड़े होकर देखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। घर ही नहीं कई बीघे खेती की जमीन भी गंगा में समा गई है। स्थानीय निवासी डर के मारे इलाका छोड़ रहे हैं।

शमसेरगंज के प्रतापगंज इलाके में गुरुवार की सुबह से भीषण गंगा कटान शुरू हो गयी। कटान के कारण दो घर गंगा में समा गये हैं। कई बीघे जमीन भी जलमग्न हो गई है। स्थानीय निवासी डर के मारे अपने घर छोड़कर भाग रहे हैं। जिनके घरों के करीब गंगा पहुंच गई है, वे अपना फर्नीचर अन्यत्र सुरक्षित ठिकानों पर ले जा रहे हैं।

राज्य सिंचाई विभाग ने पहले ही शमसेरगंज के महेशटोला को कटाव के कारण खतरनाक घोषित कर दिया था। राज्य के सिंचाई मंत्री पार्थ भौमिक ने कई बार दौरा किया। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मालदा में एक प्रशासनिक बैठक में कटाव रोकने के लिए 50 करोड़ रुपये आवंटित किये।

इस बार सिंचाई विभाग ने बरसात की शुरुआत में ही रेत की बोरियों से कटान रोकने का प्रारंभिक कार्य शुरू कर दिया था। लेकिन कुछ सप्ताह पहले गंगा का जलस्तर बढ़ने से काम रुक गया। शमशेरगंज के महेशटोला, प्रतापगंज समेत बड़ा इलाका फिर कटाव से प्रभावित है। निवासी सब कुछ खोने के डर से रात गुजार रहे हैं। उनकी एक ही मांग है कि इस तबाही से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें पहल करें। कटान रोकने के लिए हर वर्ष मानसून शुरू होने पर अस्थायी व्यवस्था नहीं, बल्कि स्थायी बंदोबस्त किया जाना चाहिए।

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