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एक महीने में तीसरी बार बिहार में टूटा पुल

  • गंगा में पानी बढ़ा तो पीपा पुल का हिस्सा बहा

  • इससे पहले किशनगंज में इसी नदी का पुल ढहा

  • भागलपुर में गंगा ब्रिज का एक हिस्सा ध्वस्त हुआ

राष्ट्रीय खबर

वैशाली: बिहार में फिर एक पुल टूटा है। पुल टूटने की यह एक महीने में तीसरी घटना है। बिहार के वैशाली में बुधवार को भारी बारिश के बाद गंगा का पानी बढ़ने से एक निमार्णाधीन पुल ढह गया। लगातार बारिश और तेज हवाओं के कारण गंगा पर बने पीपा पुल या स्थानीय भाषा में कहें तो अस्थायी पुल का एक हिस्सा खुल गया है और गंगा की धारा में बह गया है।

हालांकि, इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ। हालांकि कई लोग काफी देर तक पुलों के बीच फंसे रहे। तीन हफ्ते पहले ही भागलपुर में 1700 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से बन रहा एक पुल ढह गया था। इसके बाद 24 जून को किशनगंज में मेची नदी पर बने पुल का एक और हिस्सा ढह गया। आज ही के दिन वैशाली में फिर वही घटना घटी।

इससे पहले किशनगंज जिले (किशनगंज जिले) में मेची नदी (मेची नदी) पर निमार्णाधीन पुल के पिलर का एक हिस्सा ढह गया। हालाँकि, कोई हताहत नहीं हुआ। यह पुल कटिहार को किशनगंज से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा था। लेकिन पुल बीच में कैसे टूटा इसकी जांच के लिए पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। लापरवाही का आरोप लगाया गया है। 4 जून को भागलपुर जिले में एक निमार्णाधीन पुल ढह गया।

भागलपुर को खगड़िया से जोड़ने वाला पुल निर्माण कार्य के दौरान ढह गया लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। इस पुल का एक हिस्सा एक साल पहले ढह गया था। पिछले शनिवार को किशनगंज जिले में मेची नदी पर निमार्णाधीन पुल के पिलर का एक हिस्सा ढह गया था। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जांच के आदेश दिये हैं।

वैसे जाहिर सी बात है कि इस पर अभी नये सिरे से राजनीति बयान आने लगेंगे। इससे पहले के पुल गिरने की घटनाओं में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। जिसमें पुल बनाने वाली कंपनी के राजनीतिक संबंधों पर भी सवाल उठाये गये थे क्योंकि अन्य राज्यों में ब्लैक लिस्ट हुई कंपनी को एनएचएआई ने काम क्यों दिया था, यह बड़ा सवाल बन गया था।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण किशनगंज और कटिहार जिलों को जोड़ने के लिए मेची नदी पर इस पुल का निर्माण कर रहा है। किशनगंज जिले में आज दोपहर निमार्णाधीन पुल के पिलर का एक हिस्सा गिर गया। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अरविंद कुमार ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि शुरूआती जांच में पता चला है कि पुल के पिलर असेंबल करने में मजदूरों की गलती के कारण यह हादसा हुआ।

हालांकि, घटना की जांच के लिए 5 सदस्यों की एक जांच कमेटी बनाई गई है। वैसे स्थानीय लोगों को इस हिस्से के क्षतिग्रस्त होने के तरीकों पर संदेह है। उनके मुताबिक अभी गंगा नदी में पानी पूरी तरह आया भी नहीं है। ऐसी स्थिति में पानी का दबाव जब यह पुल नहीं झेल पाया तो जब गंगाजी उफान पर होंगी तो इसकी क्या हालत होती।

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