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पूरे मणिपुर को शीघ्र उपचार की जरूरत हैः राहुल गांधी

  • दोनों जातिवर्ग के राहत शिविरों में गये

  • बच्चों से बात की और साथ खाना भी खाया

  • पीड़ितों से कहा उनके दुख में पूरी तरह साथ है

अगरतलाः हिंसाप्रभावित मणिपुर में राहुल गांधी का दौरा दूसरे दिन भी जारी रहा। इस दौरान वह कई ऐसे शिविरों में गये, जहां अपना सब कुछ गवां चुके लोग किसी तरह रह रहे हैं।  चुराचांदपुर पहुंचकर, राहुल ने एक नरसंहार-विस्थापित व्यक्ति के गले में हाथ डाला, जो एक राहत शिविर में मानसिक तौर पर टूट गया था।

वहां के लोगों से मिलने और उनके दुख में सहभागी बनने के बाद राहुल गांधी ने कहा, मणिपुर को उपचार की आवश्यकता है। शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए।

गुरुवार को, राहुल को मणिपुर में भाजपा संचालित प्रशासन ने सड़क मार्ग से चुराचांदपुर जाने से रोक दिया, जिससे सुरक्षा कर्मियों और निवासियों के बीच टकराव शुरू हो गया और कांग्रेस नेता को इम्फाल लौटने और हेलिकॉप्टर लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। मणिपुर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के. देवब्रत सिंह के अनुसार, जिला प्रशासन ने बिष्णुपुर-चुराचांदपुर सीमा पर अस्थिर स्थिति को देखते हुए उन्हें इंफाल से चुराचांदपुर तक हेलिकॉप्टर लेने के लिए कहा था।

इस प्रशासनिक अड़चन की वजह से लोगों ने भी पुलिस के इस आचरण पर नाराजगी जतायी थी। आज दौरे के दूसरे दिन राहुल गांधी तमाम शिविरों में गये। उन्हें अपना कष्ट सुनाकर कई महिलाएं रो पड़ी और राहुल ने सभी को धैर्य से सुना और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इस दौरान वह बच्चों के साथ खाना खाने बैठ गये और माहौल को तनावमुक्त करने की पूरी कोशिश की।

चुराचांदपुर में, राहुल ने दो राहत शिविरों का दौरा किया और नागरिक समाज संगठनों और पीड़ित परिवारों से संक्षिप्त बातचीत की, जो सुबह 11.30 बजे से उनका इंतजार कर रहे थे।

चुराचांदपुर की मान्यता प्राप्त कुकी-ज़ो जनजातियों के समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने कांग्रेस नेता को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया कि झड़पें दो समुदायों के बीच गलतफहमी से उत्पन्न होने वाली एक सहज घटना नहीं थीं, बल्कि एक सावधानीपूर्वक घटना थीं।

एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार और उसके कट्टरपंथी गैर-सरकारी सहयोगियों द्वारा जनजातीय भूमि को हड़पने और जातीय सफाए की शुरुआत करने के अपने बहुसंख्यकवादी एजेंडे को पूरा करने के लिए सुनियोजित योजना बनाई गई है।

वहां एक संक्षिप्त भाषण में, राहुल ने कहा कि वह समझते हैं कि मणिपुर में एक त्रासदी हुई है और वह जो कुछ हुआ है उसे सुनने और समझने तथा शांति वापस लाने का प्रयास करने के लिए मणिपुर आए है। उन्होंने कहा, आप बहुत कठिन समय से गुजर रहे हैं।

मेरा दिल और मेरे कान आपके साथ हैं। राहुल ने कहा कि अगर राहत शिविरों में कोई समस्या होगी तो हम अपने लोगों को यहां भेजेंगे। राहुल शाम 6 बजे इंफाल लौट आए और एक राहत शिविर का दौरा किया। शुक्रवार दोपहर तक दिल्ली लौटने से पहले वह नागरिक समाज संगठनों और प्रमुख नागरिकों से मिलें और कुछ राहत शिविरों का भी दौरा कर वहां भी पीड़ितों से बात चीत की।

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