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नईदिल्लीः मिजोरम भाजपा इकाई ने पड़ोसी राज्य में शांति बहाली के लिए हिंसा प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। जातीय हिंसा में कम से कम 220 चर्च भी जला दिए गए हैं।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि ऐसी हत्याओं और घरों और धार्मिक स्थलों को जलाने के बाद भी बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यकों पर हमला करना जारी रखता है। इसमें कहा गया है कि हिंसा को बड़े सांप्रदायिक और धार्मिक टकराव में बदलने से पहले नियंत्रित किया जाना चाहिए। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा ने भी एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार पर जातीय हिंसा के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया।
इसमें राज्य में शांति बहाल करने के लिए वर्तमान मणिपुर सरकार को भंग करने और जल्द से जल्द राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई। कुकी-हमार-मिज़ो-ज़ोमी समूह के प्रमुख नागरिक समाज संगठनों के समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के अनुसार, मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष में कम से कम 106 आदिवासी लोग मारे गए हैं। फोरम ने कहा कि कम से कम 262 चर्च और 93 चर्च प्रशासनिक भवन और आवास जला दिए गये हैं।
दूसरी तरफ मिजोरम से एकमात्र राज्यसभा सदस्य के वनलालवेना ने 17 जून को हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की, साथ ही राज्य में हिंसा को रोकने के लिए सक्रिय निर्णय नहीं लेने के लिए केंद्र सरकार की भी आलोचना की। राज्यसभा सदस्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को हटा देना चाहिए ताकि केंद्रीय बल मणिपुर पुलिस को अपने अधीन कर राज्य में हिंसा रोक सकें। राज्यसभा सांसद ने मणिपुर पुलिस पर यह भी आरोप लगाया कि वह बेहद पक्षपाती है और इसे राष्ट्रपति के अधीन करने की जरूरत है।