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अब उपद्रवी को देखते ही गोली मारने का आदेश

  • हिंसक भीड़ के हमले में भाजपा विधायक घायल

  • चोट लगने से बुंगजागिन बाल्टे की स्थिति गंभीर

  • अर्धसैनिक बलों की 14 कंपनियां भेजी गयी

  • पूर्व सीआरपीएफ प्रमुख सुरक्षा सलाहकार नियुक्त

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी: मणिपुर में हिंसक भीड़ ने 4 मई को शाम 6 बजे  मुख्यमंत्री सचिवालय से लौटते समय मणिपुर के फ़ेरज़ावल जिले के थानलॉन निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक वुंगज़ागिन वाल्टे पर हमला कर दिया। यह घटना रिम्स रोड पर हुई जब भीड़ ने विधायक को ले जा रही कार पर हमला कर दिया।

वह मणिपुर में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग लेने के बाद अपने आधिकारिक आवास की ओर जा रहे थे। बैठक में भाग लेने वाले हिल्स के एक नागा विधायक ने न्यूज आउटलेट स्क्रॉल को बताया कि एक भीड़ ने वाल्टे को घेर लिया और उनके वाहन में तोड़फोड़ की।

उन्होंने कहा कि वाल्टे को इलाज के लिए विमान से दिल्ली ले जाया जा सकता है।राज्य सरकार ने मणिपुर में हिंसा को नियंत्रित करने के लिए देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं। इससे पहले दिन में राज्यसभा सांसद और मुक्केबाज मैरी कॉम ने भी शांत रहने की अपील की थी।

उन्होंने कहा कि मणिपुर की स्थिति मुझे दुखी करती है, पहले मैं इतनी हिंसा की कल्पना भी नहीं कर सकती थी। कल रात से यह और भयावह हो गई है।

कांग्रेस ने मणिपुर में जारी हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए वहां तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की और कहा कि हैरानी इस बात की है कि जब राज्य पूरी तरह से हिंसा की चपेट में है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह वहां के संकट को सुलझाने के लिए कदम उठाने की बजाय कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोट पाने के लिए व्यस्त हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि देश की विडंबना है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री कर्नाटक के चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं और दूसरी तरफ मणिपुर जल रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह क्या आपमें यह नैतिकता नहीं बची कि अपना सारा ध्यान मणिपुर पर दें।

उन्होंने कहा कि मणिपुर में स्थिति बहुत चिंताजनक हो चुकी है और हिंसा का दौर थम नहीं रहा है इसलिए वहां तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू कर शांति बहाल की जानी चाहए। मणिपुर सचमुच में चार दिन से जल रहा है। राज्य के 16 में से आठ जिलों में कर्फ्यू लगा है।

भारतीय जनता पार्टी सांसद की राज्यसभा ऑलम्पिक खिलाड़ी मेरीकॉम ने कहा है कि मणिपुर को बचा लीजिए।पार्टी नेता अजय माकन ने ट्वीट कर सरकार से सवाल किया कि जब मणिपुर जल रहा है तो प्रधानमंत्री चुप कैसे रह सकते हैं और वहां जारी हिंसा को नजरअंदाज कैसे कर सकते हैं।

राज्य में देखते ही गोली मारने के आदेश दिये गये हैं और ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री दिल्ली से ही स्थिति का जायजा लेते रहेंगे। मोदी के लिए चुनाव प्रचार करना और वोट बटोरना मणिपुर की समस्या के समाधान के लिए कदम उठाने से ज्यादा जरूरी हैं। उनको चुनाव में व्यस्त रहने की बजाय मणिपुर में स्थिति सामान्य बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि मणिपुर हिंसा के कारण जब सचमुच जल रहा है तो ऐसे माहौल में प्रधानमंत्री कर्नाटक में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री के पास पूरी दुनिया में केवल कर्नाटक में प्रचार करने के लिए समय है। इससे यह पता चलता है कि भाजपा सरकार की प्राथमिकताएं ही गलत है।हालांकि, अब तक अर्धसैनिक बलों (आरएएफ, सीआरपीएफ, बीएसएफ) की 14 कंपनियां तैनात की गई हैं। अब तक अधिक अर्धसैनिक बल आ रहे हैं।

उनका कार्य मणिपुर पुलिस से बहुत अलग होगा क्योंकि उन्हें दुश्मन से लड़ने के लिए युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। अब तक 35000-40000 पीड़ितों को सफलतापूर्वक निकाला गया है। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है।

लोगों से अपील की गई कि वे भीड़ द्वारा लगभग 7-8 पुलिस चौकियों से छीने गए हथियारों को जल्द से जल्द सरेंडर करें।हथियार सरेंडर करने वालों को भीड़ की कार्रवाई मानते हुए बख्शा जाएगा।  जो लोग हथियारों को आत्मसमर्पण करने में विफल रहते हैं, उन्हें कानून के गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा। हथियार सरेंडर करने में नाकाम रहने पर मामला एनआईए को भी सौंपा जा सकता है। 23 संवेदनशील पुलिस स्टेशनों की पहचान की गई। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी केंद्रीय बलों की तैनाती के अलावा प्रभार ले रहे हैं।

हिंसा के बीच संकटग्रस्त मणिपुर में स्थिति बिगड़ने पर राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और सीआरपीएफ के पूर्व प्रमुख कुलदीप सिंह को अपना सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया।  रिपोर्ट्स के मुताबिक कुलदीप सिंह इंफाल पहुंच गए हैं। 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पिछले साल सितंबर में सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने एक अतिरिक्त क्षमता में इसके महानिदेशक के रूप में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) का भी नेतृत्व किया।

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