बिहार के नेताओं ने इसकी पहल कर दी
सभी को साथ बैठाकर एकजुटता का काम
कांग्रेस ने कहा दो विचारधाराओं की लड़ाई
नयी दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा अन्य नेताओं ने बुधवार को यहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करके सभी विपक्षी दलों को एकजुट कर चुनाव लड़ने का ऐतिहासिक फैसला लिया। बैठक के बाद श्री गांधी ने इस मुलाकात को ऐतिहासिक बताया और कहा कि विपक्षी दलों के साथ एकता की तरफ बढ़ने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह पूछने पर कि किस रणनीति के साथ विपक्षी दल एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो श्री गांधी ने कहा कि विपक्षी दल एक साथ और एकजुटता के साथ खड़े होंगे और आगे बढ़ना शुरु करेंगे तो स्वत: तय हो जाएगा कि गठबंधन की मजबूती के लिए किस तरह से काम करना है।
उन्होंने कहा कि जब सभी दलों के नेता एक साथ मिलकर बैठेंगे और एकजुटता के साथ आगे बढ़ेंगे तो ये विचार स्वत: आना शुरु हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल देश के लिए एकजुट हो रहे हैं और मिलकर देश की समस्याओं का समाधान करेंगे। इस बीच सूत्रों का कहना है कि इस महीने के आखिर तक विपक्षी दलों के नेताओं की एक बैठक हो सकती है जिसमें विपक्षी एकता को एकजुट करने का मिलकर प्रयास किया जाएगा।
बैठक में जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार, पार्टी अध्यक्ष लल्लन सिंह, राष्ट्रीय जनता दल-राजद नेता तेजस्वी यादव, मनोज झा सहित कई प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया। श्री खड़गे ने कहा संविधान सुरक्षित रखेंगे और लोकतंत्र बचाएंगे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा अन्य नेताओं से मुलाकत करके, जनता की आवाज को एक साथ उठाने और देश को नई दिशा देने का संकल्प दोहराया गया।
आज हमारी ऐतिहासिक बैठक हुई है जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा हुई। हम सबने यह निर्णय लिया है कि सभी विपक्षी दलों को एकजुट करेंगे और मिलकर आने वाला आम चुनाव मिलकर लड़ेगे। श्री कुमार ने कहा विपक्षी दलों को जितना हो सके एकजुट करेंगे और सब मिलकर आगे बढेंगे।
इस बीच कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि देश इस समय संवैधानिक संकट से जूझ रहा है और संसद तथा अन्य संवैधानिक संस्थाओं के समक्ष मौजूदा समय में जो चुनौतियां हैं पहले कभी इस तरह की स्थिति नहीं आई है।
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, देश के भीतर दो विचारधाराओं की लड़ाई चल रही है। स्थिति यह बन गई है कि इस समय सरकार ही खुद संसद नहीं चलने दे रही है, इसलिए यह बड़ा सैद्धांतिक विषय उभरकर आया है कि आखिर हम किस दिशा की तरफ बढ रहे हैं।
श्री शर्मा ने कहा, शायद आजादी के बाद हर संस्था,जो देश के संवैधानिक व्यवस्था पर विश्वास रखती है, उसके सामने कभी इतनी बड़ी चुनौती नहीं आई। संसद में जहां चर्चा होती थी, विपक्ष के सवाल होते थे, सरकार जवाब देती थी वह परंपरा टूट चुकी है। संसद चले यह सरकार की जिम्मेदारी होती है और लोगों की भी अपेक्षा यही होती है कि सरकार संसद चलाए।
विपक्ष की जिम्मेदारी होती है कि वह सरकार की जिम्मेदारी तय करे लेकिन यहां तो सत्ता पक्ष ही संसद की कार्यवाही में बाधा डालने का काम कर रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकतंत्र को भव्य इमारत बनाने से नहीं बल्कि संसदीय परंपराओं का पालन करके ही संसद को जिंदा रखा जा सकता है।
लोकतंत्र में जहां स्वच्छंद रूप से चर्चा करने और अपनी बात कहने की जगह थी वह सिकुड़ती जा रही है। केवल बड़ी इमारत खड़ी कर देने से प्रजातंत्र मजबूत नहीं होता। उन्होंने कहा, देश में पिछले और इस वर्ष भी बेरोजगारी का आकंडा बढ़ रहा है और युवा बेरोजगारों की संख्या 42 प्रतिशत पहुंच गई है लेकिन इस बारे में कोई चर्चा नहीं होती है।
मार्च में कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में 95 लाख रोजगार घट गया। औद्योगिक सेक्टर में लगभग 72 लाख रोजगार घटा। रिटेल सेक्टर में करीब 65 लाख रोजगार कम हुए। मार्च में बेरोजगारी दर का आंकड़ा हम सबने देखा लेकिन अब सवाल है कि सरकार ने क्या कदम उठाए।
प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर जो फैसला आया है और उस पर सरकार ने जिस तरह से कार्रवाई की है यदि यही पैमाना सब पर लागू हो तो संसद खाली हो जाएगी और ज्यादा लोग संसद से बाहर होंगे। उनका कहना था कि पहले भी जेपीसी बनी है और वर्ष 1992 के बाद कई बार जेपीसी का गठन हुआ है इसलिए इस बार भी सरकार को जेपीसी का गठन करना चाहिए।