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अफसर नियमित फोन करते थे वीरेंद्र को
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विधायकों का फोन रिकार्ड भी है मौजूद
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अफसर सभी को बराबर कृतार्थ करते हैं
राष्ट्रीय खबर
रांची: प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने एक अधिकारी को पूछताछ के बाद फिलहाल छोड़ दिया है। पतंगबाजी में इसे ढील का खेल कहते हैं। मौका पाते ही कमजोर कड़ी पर फिर से वार होगा।
वैसे मजेदार स्थिति यह है तो मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम और एक अधिकारी पर ईडी का हाथ पड़ते ही कई नेताओं और अफसरों की नींद हराम हो गयी है।
वैसे यह कोई गुप्त जानकारी नहीं है कि ठेकेदारों से वसूली जाने वाली राशि का बंटवारा झारखंड के विभागों में कैसे होता है। दरअसल इसी वजह से ईडी द्वारा एक अफसर को छोड़ दिये जाने को पतंगबाजी की ढील माना जा रहा है।
पतंगबाजी की जानकारी रखने वाले यह जानते हैं कि दो पतंगों की डोर के बीच जब यह मांझा लगा डोर उलझा होता है तो इस ढील का क्या नतीजे होते हैं।
अब ढील पाकर बाहर निकले अफसर के संपर्क में आये लोग आसानी से ईडी की जाल में आ जाएंगे। वैसे इसके बाद भी ईडी को अपना असली मकसद हासिल करने में कामयाबी मिलेगी या नहीं, यह बाद की बात है। दरअसल झारखंड की राजनीति भी इन्हीं अफसरों की कृपा से संचालित होती है।
इसलिए दोनों अधिकारियों ने सिर्फ किसी एक राजनीतिक दल के नेताओं को ही खुश किया होगा, ऐसा सोचना गलत है। इसलिए अगर इनके संपर्क में कोई भाजपा का बड़ा नेता भी निकल आया तो फिर से सारी कवायद पर पानी फिर सकता है।
चर्चा है कि झारखंड के करीब 17 ऐसे विधायक और राजनेताओं ने बीरेंद्र राम के साथ लगातार और लंबी बातचीत की थी। इनमें दो महिला विधायक भी शामिल हैं। चर्चा के बाहर आने से यह स्पष्ट है कि संबंधित लोगों के फोन रिकार्ड पहले से ही ईडी की जानकारी में हैं।
खबर यह भी है कि कई वरिष्ठ अफसर नियमित रूप से टेंडरों के प्रबंधन के लिए बीरेंद्र राम से बात किया करते थे। बीरेंद्र राम को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले हफ्ते 2019 के भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया था। इससे पहले झारखंड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा एक जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
जांच के दौरान ईडी ने बीरेंद्र राम और कई अन्य लोगों को निगरानी में रखा था। वैसे इस पूरे मामले में असली शिकार हाथ आता है अथवा नहीं, यह देखने वाली बात होगी क्योंकि अब यह स्पष्ट हो गया है कि दरअसल निशाने पर कोई और है।