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लखनऊः चित्रकूट के इलाके में गोदावरी पहाड़ी पर एक और गुप्त गुफा मिली है। इसके बारे में यह प्रचारित हुआ है कि अपने वनवास के साथ भगवान राम इस गुफा में भी ठहरे थे। गुफा मिलने की सूचना पर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने वहां का दौरा किया है।
अब तक इस गुफा का पूरा आकलन नहीं हो पाया है और समझा जाता है कि यह गुफा काफी अंदर तक गयी है। प्रशासनिक दल के लोगों ने गुफा में सिर्फ बीस फीट की दूरी तक प्रवेश किया था। इस गुप्त गुफा के बारे में कहा गया है कि यह गुप्त गोदावरी से करीब दो सौ मीटर की दूरी पर पहाड़ में है।
इसके करीब ही वन विभाग का पार्क भी है। पार्क से आगे यह गुफा प्रारंभ होती है। इसके करीब एक किलोमीटर की दूरी पर पतमनिया गांव के लोग रहते हैं। दरअसल वहां के ग्रामीणों को सबसे पहले यह गुफा अचानक नजर आयी थी। इसकी जानकारी ग्रामीणों ने मझगवां एसडीएम पीएस त्रिपाठी को दी।
इस पर एसडीएम ने टीम के साथ गुफा का मुआयना किया। यह गुफा गुप्त गोदावरी पहाड़ी पर शुरु आती चढ़ाई पर ही है, जिसका मुहाना संकरा है। एसडीएम पीएस त्रिपाठी ने बताया कि खुदाई के दौरान मिली थी ऐसी ही एक गुफ गौरतलब है कि करीब 5 साल पहले गुप्त गोदवारी से थरपहाड़ गांव जाने के लिए पहाड़ी पर सड़क निर्माण का कार्य चल रहा था।
यहां खुदाई के दौरान ऐसी ही एक गुफा मिली थी। उस वक्त भी एसडीएम पीएस त्रिपाठी ने गुफा का जायजा लिया था। बाद में इस गुफा को बंद करा दिया गया था। गुप्त गोदावरी का पौराणिक महत्व चित्रकूट में गुप्त गोदवारी का पौराणिक महत्व है।
मान्यता कि भगवान श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल में साढ़े 11 साल चित्रकूट में बिताए थे। पौराणिक मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पहाड़ी की दो कंदराओं में वक्त बिताया था।
कहते हैं कि इस गुफा में गोदावरी नदी गुप्त रूप से बहती है और गुफा के बाहर आकर विलीन हो जाती है। गुफा में श्रद्धालुओं को घुटनों तक पानी से होकर जाना पड़ता है। इस नये गुफा की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद वहां भी आस पास के श्रद्धालु उत्सुकतावश पहुंचने लगे हैं।