लंदनः इंग्लैंड में अब इसाई ही अल्पसंख्यक हो गये हैं। इंग्लैज और वेल्स में हाल में हुए जनगणना के आंकड़ों से इस बात की जानकारी मिली है। इस देश की शासन व्यवस्था इसाई पद्धति पर तैयार होने के बाद यह आंकड़ा सामने आया है। इसमें कहा गया है कि अब इन दो इलाकों में खुद को इसाई मानने वालों की आबादी का प्रतिशत घटकर 46.2 रह गया है।
दस साल पहले जब यह जनगणना हुई थी तो इसाइयों की आबादी 59.3 प्रतिशत दर्ज की गयी है। इस बीच किसी भी धर्म को नहीं मानने वालो की तादाद 46 से बढ़कर 69 प्रतिशत हो गयी है। इस दौरान इन दोनों इलाकों में मुसलमानों की आबादी भी 4.9 प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो गयी है।
नेशनल स्टैटिक्स कार्यालय की तरफ से यह आंकड़े जारी किये गये हैं। इसके अलावा वहां रहने वाले हिंदू, सिक्ख, बौद्ध तथा अन्य धर्म के लोगों की आबादी में कोई खास अंतर नहीं आया है। इन आंकड़ों के आधार पर अब यह कहा जा सकता है कि इन इलाकों में रहने वाले हर तीन में से एक व्यक्ति अब किसी भी धर्म को नहीं मानता है।
यह स्थिति तब है जबकि इंग्लैंड की संरचना ईसाई धर्म पर आधारित रही है। वहां के अनेक पौराणिक और ऐतिहासिक स्थान भी ईसाई धर्म की प्रधानता को दर्शाते हैं। इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए चैरिटी ह्युमैनिस्ट के मुख्य अधिकारी एंड्रूय कोपसन ने कहा कि इससे पता चलता है कि यह दुनिया में धर्म नहीं मानने वाले एक देश में शामिल हो रहा है।
चर्च ऑफ इंग्लैंड के आर्चविशप स्टीफन कोटट्रेल ने कहा कि यह आंकड़े बताते हैं कि ईसाइयों को अपना भरोसा लोगों तक पहुंचाने के लिए और अधिक परिश्रम करना होगा। दूसरी तरफ वैज्ञानिक सोच रखने वाले संगठन के लोगों का कहना है कि अब लोगों में विचार करने की क्षमता का और विकास हो रहा है। पहले लोग जन्म से ही खुद को ईसाई मान लेते थे। अब साफ है कि लोग सच्चाई और जीवन जीने के कई आदर्शों के आधार पर अपना फैसला ले रहे हैं।
इन दो इलाकों के आंकडों से पता चला है कि वहां अंग्रेजों की आबादी भी दस साल में चार प्रतिशत कम हो गयी है। दूसरी तरफ दूसरे देशों से आकर यहां बसे लोगों की आबादी बढ़ी है।