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बड़ी बिल्लियां अपने कमरे में अधिकतर
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हाथियों को तीन बार नहलाय जा रहा
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अनेक पशुओं को अब फल अधिक
राष्ट्रीय खबर
रांची: रांची की चिलचिलाती गर्मी ने भगवान बिरसा जैविक उद्यान के शेरों, बाघों और तेंदुओं को भी घर के अंदर रहने पर मजबूर कर दिया है। गर्मी से इस तरीके से बेहाल हो रहे जानवरों को राहत दिलाने के लिए उनके कमरों में एयर कूलर लगाया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि करीब एक सप्ताह से राज्य की राजधानी में दिन का तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है।
इस जैविक उद्यान के चार शेर, नौ बाघ और आठ तेंदुए अपने बाड़े के लॉन की तुलना में अपनी कमरो के अंदर अधिक समय बिता रहे हैं। जबकि गर्मी के कारण उनके दैनिक मांस आहार में मामूली कमी आई है। इन्हें स्वस्थ रखने के लिए अब नियमित पानी के बजाय ग्लूकोज पानी दिया जा रहा है।
उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए चौबीसों घंटे उनके कमरों के बाहर एयर कूलर लगाए गए हैं। दूसरी तरफ हाथी जैसे जानवरों के लिए पर्याप्त पानी पर ध्यान दिया जा रहा है। इस वजह से वे अधिकांश समय पानी के अंदर ही व्यतीत कर रहे हैं। डॉ ओ पी साहू ने कहा, हमारे सभी जानवरों और पक्षियों के आहार में बदलाव किया गया है ताकि वे गर्मी और अत्यधिक गर्मी के कारण बीमार न पड़ें। कुछ वर्षों में पार्क के स्लॉथ बियर की संख्या बढ़कर 12 हो गई है।
चिड़ियाघर के रखवाले कूलर का उपयोग करके और तरबूज, ककड़ी और मौसमी फलों जैसे उच्च पानी की मात्रा वाले फलों को अपने आहार में शामिल करके भालुओं को ठंडा रख रहे हैं। 275 एकड़ में फैले इस पार्क के उत्तरी छोर पर हाथी के बाड़े को डेक पर अधिक लोग काम कर रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि महावत हाथियों के शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए दिन में तीन बार नहलाते हैं।
हाथियों को उनके मौजूदा आहार के अलावा गन्ना खिलाया जा रहा है। अब तक यहां कोई भी पशु और पक्षी गर्मी के कारण बीमार नहीं हुआ है। डॉ साहू ने कहा, हम चौबीसों घंटे उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे हैं। पार्क जानवरों, सरीसृपों और पक्षियों की 83 से अधिक प्रजातियों का घर है।
बढ़ते तापमान ने पार्क में आगंतुकों की संख्या भी कम कर दी है। पार्क में अब 300 से अधिक हिरण रह रहे हैं, इसके अधिकारियों ने अपने बाड़े के आधे हिस्से को घास से बने शेड से ढक दिया है। इसी तरह, एवियरी में घास के शेड स्थापित किए गए हैं और तोते, गरुड़ और अन्य विदेशी और लुप्तप्राय प्रजातियों सहित पक्षियों को गाजर और मूली खिलाई जा रही है। मल्टीविटामिन को शाकाहारी के आहार में जोड़ा गया है जबकि उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मांसाहारियों के आहार में भी बदलाव किया गया है ताकि उनके शरीर में पानी की कमी ना हो सके।