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आधे घंटे में सबसे अधिक सजा दी गयी

सूरत की अदालत में अब राहुल की तरफ से आक्रामक दलील

  • निचली अदालत का रवैया गलत था

  • गलत संदर्भ में सजा का फैसला हुआ

  • अमित शाह के वकील रहे हैं यह जज

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः सूरत के सेशंस कोर्ट में अब राहुल गांधी की तरफ से सजा को चुनौती देने की याचिका पर उनकी तरफ से आक्रामक दलील दी गयी है। उनके वकील आर एस चीमा ने कहा 11 बजकर 51 मिनट पर मेरे मुवक्किल को दोषी करार दिया गया. और आधे घंटे के भीतर उसे कड़ी से कड़ी और सबसे बड़ी सजा दी गई।

उन्होंने अपने ऊपर से दलील देते हुए कहा कि अगर कोई कहे कि पंजाबी बहुत झगड़ालू और बदतमीजी करने वाले होते हैं तो क्या मैं मानहानि का केस कर दूं? वकील आरएस चीमा ने कहा कि वेनारा से राहुल गांधी भारी मतों से जीते हैं। उन्हें इस तरह सांसद पद से बर्खास्त करने से क्षेत्र को भारी नुकसान हो रहा है।

सुनवाई के दौरान राहुल के वकील ने कहा, मेरा भाषण तभी अपमानजनक होगा, जब मैं संदर्भ से हटकर बोलूंगा। जो मुकदमा हुआ वह मुझे बहुत कठोर और अनुचित लगा। इस बीच पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के भाषण की शिकायत की।

शिकायतकर्ता की भौगोलिक स्थिति का हवाला देते हुए वकील चीमा ने कहा, बयान कोलार में दिया गया था और शिकायतकर्ता को उसके व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला। राहुल गांधी के वकील का कहना है कि अगर कोई आपसे कहे कि पंजाबी बहुत झगड़ालू होते हैं तो क्या मैं जाकर मानहानि का केस करूंगा?

ऐसे शब्दों का प्रयोग कभी-कभी गुजराती सहित अन्य वक्ताओं द्वारा किया जाता है। इस बात का भी उल्लेख किया गया कि ट्रायल कोर्ट ने कहा, आपको सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी, बहुत अशिष्ट! आपको कुछ समझ नहीं आ रहा। वकील ने कहा, मुझे बहुत खेद है कि मैं कठोर शब्दों का प्रयोग कर रहा हूं लेकिन वास्तव में जजों को गुमराह किया गया और उन्होंने कठोर रवैया दिखाया।

राहुल गांधी के वकील ने कहा, नवंबर 2019 में मेरे मुवक्किल चौकीदार ने चोर शब्द के लिए माफी मांगी थी। और उन्होंने अप्रैल 2019 में मोदी के उपनाम के बारे में बात की। वैसे राहुल गांधी की अपील पर सुनवाई कर रहे जज रॉबिन पॉल मोगेरा 2006 के तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के वकील थे।

इस बात की चर्चा भी यहां मीडिया में होने लगी है। सूरत के सूत्रों से पुष्टि की है कि न्यायाधीश मोगेरा, जिन्हें जनवरी 2018 में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, ने 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में शाह का बचाव किया था। सीबीआई अदालत ने शाह के वकील मोगेरा को उनके आवेदन में कोई कारण नहीं बताने के लिए खींचा था जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि शाह को अदालत की सुनवाई में शारीरिक रूप से उपस्थित होने से छूट दी जानी चाहिए। न्यायाधीश मोगेरा 8वें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सूरत हैं।

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