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बिजली की बचत की नई मुहिम

पंजाब में अब एक नये किस्म का प्रयोग होने जा रहा है।  वहां बिजली बचाने की सरकारी पहल की गयी है।  पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए यह एलान किया गया है।  दरअसल, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सरकारी दफ्तरों के समय में बड़ा बदलाव किया है।

सोशल मीडिया पर लाइव होकर मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के सारे सरकारी दफ्तर  सुबह 7.30 से दोपहर 2 बजे तक खुलेंगे, जो  2 मई से 15 जुलाई तक लागू रहेंगे।  मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली बचाने के लिए यह तरीका विदेशों में अपनाया जाता है, जो पहली बार पंजाब में लिया गया है।  ऐसा करने से आम लोगों को भी राहत मिलेगी, क्योंकि ज्यादा गर्मी होने के कारण सरकारी दफ्तरों में काम करवाने वाली जनता जल्दी काम करवा सकेंगी।

दोपहर 2 बजे सारे दफ्तर बंद हो जाएंगे, जिससे बिजली की भी बचत होगी।  साथ ही उन्होंने कहा कि वह खुद भी सुबह 7.30 बजे दफ्तर पहुंचेंगे।  सीएम मान ने एक वीडियो संदेश में कहा कि पंजाब सरकार ने फैसला किया है कि 2 मई से सभी सरकारी कार्यालय सुबह 7.30 बजे खुलेंगे और दोपहर 2 बजे बंद होंगे।

अब सभी कर्मचारियों को इस नए समय के अनुसार दफ्तर आना होगा। उन्होंने कहा कि कार्यालय का नया समय 15 जुलाई तक लागू रहेगा।  सीएम भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों समेत कई लोगों से चर्चा के बाद यह फैसला किया गया है।  सभी की सहमति के बाद ये बदलाव किए गए हैं।

15 जुलाई तक सभी सरकारी दफ्तर सुबह 7:30 बजे खुल जाएंगे और दोपहर 2 बजे बंद हो जाएंगे।  पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आगे कहा कि गर्मियों के दौरान कार्यालयों के समय में बदलाव से बिजली की मांग पर भार कम होगा।  दफ्तर जल्दी बंद होने से बिजली की खपत कम होगी।  मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पावर यूटिलिटी पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने कहा है कि पीक लोड (बिजली का) दोपहर 1.30 बजे के बाद शुरू होता है और अगर सरकारी कार्यालय दोपहर 2 बजे बंद हो जाते हैं, तो यह पीक लोड को 300 से 350 मेगावाट तक कम करने में मदद करेगा।

अंत में सीएम मान ने कहा कि मैं भी सुबह 7.30 बजे अपने ऑफिस पहुंच जाऊंगा। सब मिलकर इस नए बदलाव को अपनाएंगे। भारत में इस किस्म का प्रयोग पहले कभी नहीं किया गया था इसलिए इस बारे में बचत का आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है। फिर भी अगर यह प्रयोग सफल रहा तो यह माना जा सकता है कि शाम और रात को सरकारी दफ्तरों में बिजली की जो खपत होती है, वह निश्चित तौर पर कम होगा।

इसके एक नहीं बल्कि दो फायदे होंगे। शाम को बिजली आपूर्ति का जो बोझ बढ़ता है वह सरकारी दफ्तरों में खपत न्यूनतम होने की वजह से काफी हद तक कम होगा। दूसरी तरफ इससे सरकारी खजाने पर भी बोझ कम होगा और दूसरे इलाकों तक बिजली की आपूर्ति में इससे मदद मिलेगी। दिल्ली से मुफ्त बिजली का आम आदमी पार्टी का प्रयोग लोगों के लिए राहत भरा फैसला था, जिसे अब पंजाब में भी लागू किया गया है।

इसके साथ ही अब यह समझना जरूरी होता जा रहा है कि दरअसल बिजली वितरण कंपनियों को वाकई घाटा हो रहा है या वे भी आंकड़ों की बाजीगरी कर जनता को मुर्ख बना रहे हैं। इतना तो पहले ही साफ हो गया था कि जब अरविंद केजरीवाल ने पहली बार इन बिजली वितरण कंपनियों के हिसाब किताब की जांच की बात कही थी तो भाजपा खुलकर मैदान में आ गयी थी।

बिजली उत्पादन से लेकर वितरण तक का ऑडिट अब समय की मांग है क्योंकि नये नियमों के तहत बिजली के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसमें यह समझना जरूरी है कि वाकई जनता पर जो बोझ बार बार डाला जा रहा है, उसका क्या औचित्य है। वैसे भगवंत मान की सरकार का यह फैसला सरकारी स्तर पर एक नई पहल की शुरुआत करेगा।

वैसे अब सभी सरकारों को ब्रिटिश राज के ठाठ बाट से भी मुक्ति पा लेना चाहिए। सरकारी ताम झाम पर जो जनता का पैसा खर्च होता है, उस खर्च को कैसे कम किया जाए, इस पर अब विचार करने की जरूरत है। बिना किसी हिसाब के ही यह कहा जा सकता है कि अगर सरकारी स्तर पर खर्च में कटौती का दस प्रतिशत भी प्रयास हुआ तो देश का अरबों रुपया प्रति माह बच जाएगा।

वर्तमान समय में इस किस्म के परिवर्तनकारी फैसलों से भी जनता की जेब पर लगातार बढ़ रहे बोझ को कम करने की कोशिश की जानी चाहिए क्योंकि इसके बहुआयामी फायदे होंगे, जिसे दिल्ली में मुफ्त बिजली की योजना ने पहले ही बता दा है। अब बाकी राज्यों की बारी है कि वे भी अपने स्तर पर कोशिश करें।

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