भारत सरकार को अब वाकई चुनाव की चिंता सताने लगी है। कभी गैस और पेट्रोल के दामों के अलावा डॉलर की कीमत ऊपर जाने को लेकर इस दल ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का बहुत मजाक उड़ाया था। संयोग से उस वक्त टू जी और थ्री जी घोटालों की वजह से भी ऐसा प्रतीत होने लगा था कि पूरी सरकार ही घोटालों में लिप्त है।
यह अलग बात है कि बाद में यह सारी चर्चा अदालत में टिक नहीं पायी और उस वक्त के सीएजी विनोद राय दरअसल पर्दे के पीछे से आरएसएस के व्यक्ति नजर आये। अब बदली हुई परिस्थितियों में मोदी सरकार को भी घोटालों की चिंता सताने लगी है। भले ही कोई खुलकर कुछ नहीं बोले लेकिन इतनी बात तो समझ में आती है कि अडाणी मुद्दे ने नरेंद्र मोदी को चिंता में डाल दिया है।
इसका नतीजा है कि अब आम जनता के हितों के बारे में फैसला लेना पड़ रहा है। वरना कभी सिलिंडर लेकर प्रदर्शन करने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अब गैस का नाम सुनकर भड़क जाया करती हैं। सरकार ने जनता को अपने पाले में रखने के लिए प्राकृतिक गैस की कीमत तय करने के लिए एक नए तरीके को मंजूरी दी है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि एपीएम गैस के रूप में जाने जाने वाले पारंपरिक पुराने क्षेत्रों से उत्पादित प्राकृतिक गैस को अब अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे अधिशेष देशों में गैस की कीमतों के बजाय कच्चे तेल की कीमत से जोड़ा जाएगा। इससे पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) 10 फीसदी सस्ती हो जाएगी और कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) की कीमत 6 फीसदी से 9 फीसदी तक कम हो जाएगी।
सरकार ने एक बयान में कहा, इस तरह की प्राकृतिक गैस की कीमत भारतीय क्रूड बास्केट के मासिक औसत का 10 प्रतिशत होगी और इसे मासिक आधार पर अधिसूचित किया जाएगा। भारत 2030 तक प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य बना रहा है।
सुधारों से प्राकृतिक गैस की खपत का विस्तार करने में मदद मिलेगी और उत्सर्जन में कमी और शुद्ध के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान मिलेगा। शून्य, सरकार ने प्रेस सूचना ब्यूरो के माध्यम से जारी बयान में कहा। तेल मंत्री हरदीप पुरी ने ट्वीट किया कि इस कदम से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।
पता नहीं श्री पुरी को भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की चिंता पहले क्यों नहीं हुई थी। श्री पुरी ने कहा, भारत में गैस की कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय गैस की कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को कम करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में की गई विभिन्न पहलों को जारी रखते हुए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संशोधित घरेलू गैस मूल्य निर्धारण दिशानिर्देशों को मंजूरी दी है।
वर्तमान में, घरेलू गैस की कीमतें हर छह महीने में चार गैस ट्रेडिंग हब – हेनरी हब, अल्बेना, नेशनल बैलेंसिंग पॉइंट (ब्रिटेन) और रूस में कीमतों के आधार पर तय की जाती हैं। सरकार ने कहा कि चार गैस हब पर आधारित मूल्य निर्धारण पद्धति में महत्वपूर्ण समय अंतराल और बहुत अधिक अस्थिरता थी, इसलिए इस सुधार की आवश्यकता महसूस की गई। यह सब कुछ तब हो रहा है जबकि प्रमुख अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर
रघुराम राजन ने कहा है कि एक दशक तक आसानी से पैसे कमाने और केंद्रीय बैंकों से तरलता की बाढ़ ने लत और वित्तीय प्रणाली के भीतर एक नाजुकता पैदा कर दी है क्योंकि नीति निर्माताओं ने नीति को कड़ा कर दिया है। चिंता यह है कि बहुत आसान पैसा (और) लंबी अवधि में उच्च तरलता विकृत प्रोत्साहन और विकृत संरचनाएं बनाती है जो सब कुछ उलटने पर नाजुक हो जाती हैं।
राजन ने कहा कि केंद्रीय बैंकरों को मुफ्त सवारी दी गई है क्योंकि नीति निर्माता वित्तीय संकट के बाद के दशक में लिए गए अति-उपयुक्त रुख को तेजी से उलट देते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंकों द्वारा यह एक लत है जिसे आपने सिस्टम में मजबूर कर दिया है क्योंकि आप सिस्टम को कम रिटर्न वाली तरल संपत्ति से भर देते हैं।
इसलिए फिलहाल देश की राजनीतिक फिजां में मोदी सरकार के चंद फैसलों पर जो चर्चा हो रही है, उससे भाजपा को वोट की चिंता सताने लगी है। आम वोटर के नाराज होने के साथ साथ बदली हुई परिस्थितियां भी पहले जैसी अनुकूल नहीं रही है। ऐसे में जनता को अपने पाले में रखने की कोशिश एक सामान्य राजनीतिक प्रयास है। लेकिन कांग्रेस ने भी पहले से गैस और पेट्रोल पर जो सवाल उठाये हैं, उनका असर और अभी का फैसला भी जनता की समझ में आ रहा होगा। ऐसा तब है जबकि अडाणी मुद्दे पर लगातार विपक्ष के हमलावर होने के तेवरों से जनता भी इसका सच जानना चाहती है।