अजब गजबमुख्य समाचारराज काजव्यापार

भारत सरकार अब चुपके से पेगासूस का विकल्प खरीदने की तैयारी में

कम चर्चित फर्मों से हो चुका है संपर्क

  • स्पाईवेयर की खरीद का बजट 986 करोड़

  • केंद्र सरकार करती आयी है इससे इंकार

  • स्वतंत्र जांच में हो चुकी है इसकी पुष्टि

राष्ट्रीय खबर

नई दिल्ली: भारत सरकार अब पेगासूस स्पाईवेयर का विकल्प खरीदने की तैयारी में है। मिल रही सूचनाओं के मुताबिक मोदी सरकार इस पर 120 मिलियन डॉलर यानी 986 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की बजट बना चुकी है। पेगासूस का मामला पकड़ में आने के बाद सरकार को किसी नये स्पाईवेयर की आवश्यकता महसूस हो रही है।

याद दिला दें कि पत्रकारों के एक स्वतंत्र संगठन ने पहली बार देश की सरकारों द्वारा इजरायल की कंपनी एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासूस के इस्तेमाल का पता लगाया था। तब से आज तक भारत सरकार इससे इंकार करती आयी है। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच कमेटी ने भी अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में पेगासूस से जासूसी होने की पुष्टि कर दी है।

इस वजह से अब मोदी सरकार पेगासूस के विकल्प की तलाश कर रही है। पेगासूस का मामला सार्वजनिक होने क बाद कंपनी ने औपचारिक तौर पर सिर्फ यह बयान दिया था कि वह केवल देश की सरकारों को ही यह स्पाईवेयर बेचती आयी है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस जासूसी में लोगों की निजता का उल्लंघन होने का मामला पकड़ में आने के बाद कंपनी की अपनी आर्थिक स्थिति ही बिगड़ गयी। अब यरुशलम से रिपोर्ट आयी है कि वास्तव में 2017 में 2 बिलियन डॉलर के व्यापक रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में इज़राइल से पेगासस खरीदा था।

अब पता चला है कि कई स्पाइवेयर विक्रेता जिन पर भारतीय रक्षा और खुफिया अधिकारी विचार कर रहे हैं, उनमें इजरायली सेना की प्रत्यक्ष या निहित भागीदारी है। इंटलेक्सिया नाम की कंपनियों में ग्रीस में मुख्यालय है, जिसने इजरायली सैन्य दिग्गजों की भागीदारी के साथ प्रीडेटर स्पाईवेयर बनाया है।

प्रीडेटर का पहले से ही मिस्र, सऊदी अरब, मेडागास्कर और ओमान सहित मानवाधिकार सूचकांक में कम देशों में इस्तेमाल होने का एक लंबा रिकॉर्ड है। क्वाड्रीम का भी उल्लेख किया गया है, जिसके बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद सऊदी अरब को बिक्री के लिए मंजूरी दे दी गई थी।

भारत की इस संभावित सूची में एक अन्य कंपनी कॉग्नाईट है, जिसे सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले वेरिंट से बाहर कर दिया गया था, और मेटा द्वारा व्यापक दुरुपयोग पाए जाने के बाद नॉर्वे के सॉवरेन वेल्थ फंड द्वारा इसका स्टॉक डंप कर दिया गया था। सूचना है कि राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा मंत्रालय के भीतर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है।

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने बड़े पैमाने पर अनियमित स्पाइवेयर उद्योग पर शिकंजा कसने के नए प्रयासों का नेतृत्व किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने 27 मार्च को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जो वाणिज्यिक स्पाईवेयर के संघीय उपयोग पर रोक लगाता है, जिसका उपयोग सत्तावादी सरकारों ने निगरानी के लिए किया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button