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पेगासूस के आगे के आरोप से घिरी सरकार

पेगासूस के मुद्दे पर यह साफ हो गया है कि केंद्र सरकार ने संसद को गलत जानकारी दी थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी तकनीकी जांच कमेटी ने कई मोबाइलों की जांच कर पेगासूस होने की पुष्टि कर दी थी। उससे पहले ही पत्रकारों की एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के प्रयास से इसका पता लगाया गया था।

जिसमें कहा गया था कि किसी भारतीय एजेंसी द्वारा इस पेगासूस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किये जाने के घेरे में जज, चुनाव आयुक्त, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकारों के अलावा वे राजनेता भी आये थे, जो आज केंद्र सरकार में मंत्री है।

अब इससे आगे बढ़ते हुए कांग्रेस ने इजरायल की एक कंपनी को फिर से निशाने पर लिया है। कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि भारत के चुनाव में हस्तक्षेप करने के लिए इजराइल की कंपनियों, कॉन्ट्रैक्टर्स का इस्तेमाल किया गया है।

लिहाजा सरकार को इस मामले में चुप्पी तोड़नी चाहिए और इसकी जांच करानी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और सुप्रिया श्रीनेत्र ने इजराइल की टीम जॉर्ज और भाजपा की आईटी सेल में समानता बताते हुए कहा कि भाजपा फर्जी खबरें और गलत जानकारी लोगों के बीच फैलाती है ताकि देश में चुनाव की प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारतीयों की गोपनीय जानकारी को लीक किया गया है। पवन खेड़ा ने कहा कि टीम जॉर्ज जिसपर दुनिया के 30 से अधिक देशों की चुनाव प्रणाली में हस्तक्षेप का आरोप है, वह एक ऐसे सॉफ्टवेयर पर काम करती है जिसके जरिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट चलाया जाता है और इन देशों में सोशल मीडिया पर अभियान चलाया जाता है, जिसमे भारत भी शामिल है।

सुप्रीया श्रीनेत ने कहा कि भारत में भी हमने इसी तरह का पैटर्न देखा है, हम चाहते हैं कि सरकार इसपर अपनी चुप्पी तोड़े और बताए कि देश के लोकतंत्र को बचाने में उनकी क्या भूमिका है। बता दें कि इजराइल की जासूसी फर्म पर आरोप लगा है कि उसने 30 से अधिक देशों के चुनाव में अपना दखल दिया है।

एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमे दावा किया गया है कि इजराइल की कंपनी भारत समेत तमाम देशों में एक फेक मीडिया कैंपेन चला रही है। ब्रिटेन के गार्डियन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों के संघ की जांच में यह बात सामने आई है कि इजराइल की कंपनी टीम जॉर्ज अपने ग्राहकों को एडवांस्ड इम्पैक्ट मीडिया सॉल्यूशन नाम का सॉफ्टवेयर मुहैया कराती है जिसके जरिए सोशल मीडिया पर इस तरह के अभियान चलाए जाते हैं।

कौन चलाता है इजराइल की जासूसी फर्म रिपोर्ट की मानें तो इस कंपनी को इजराइल स्पेशल फोर्स के पूर्व ऑपरेटिव ताल हनान चलाते हैं जिनकी उम्र 50 वर्ष है। यह फेक नाम जॉर्ज का इस्तेमाल करते हैं। टीम जॉर्ज पर कई तरह के आरोप जैसे हैकिंग, तोड़फोड़, ऑनलाइन फर्जी खबर चलाना लग चुके हैं।

वहीं हनान का कहना है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। टीम जॉर्ज का जो अंडरकवर फुटेज सामने आया है उसे तीन पत्रकारों ने शूट किया है, जिसमे इन लोगों ने संभावित ग्राहक के तौर पर खुद को पेश किया। इसमे हनान की टीम बताती है कि कैसे वह विरोधियों की खुफिया जानकारी को इकट्ठा करते हैं और इसे अलग-अलग माध्यम से लोगों के बीच पहुंचाते हैं।

पत्रकारों की इस जांच में फ्रांस की संस्था फॉरबिडन स्टोरीज भी शामिल थी। इसलिए हाल के घटनाक्रमों से यह साफ होता जा रहा है कि प्रचंड बहुमत के पीछे नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का दावा किया जाना भी कहीं न कहीं संदेह के घेरे में है। निश्चित तौर पर अडाणी प्रकरण में उस लोकप्रियता के ग्राफ में भी काफी गिरावट आयी है।

साथ ही कांग्रेस के आरोपों को मानें तो पूर्व के कई चुनावों को भी इसी तरीके से प्रभावित किया गया है। चुनाव आयोग तथा अन्य कई लोगों द्वारा ईवीएम की हैकिंग से इंकार किये जाने के बाद भी इलेक्ट्रानिक विज्ञान का यह सामान्य सिद्धांत है कि किसी भी ऐसे उपकरण को बाहर से निर्देशित किया जा सकता है।

शायद जिन नेताओं को इस तकनीकी सत्य का पता नहीं है वे चुनाव परिणामों पर आश्चर्यचकित थे। लेकिन अनेक लोगों ने अब तक इस बात पर ध्यान नहीं दिया है कि देश भर में इस तरीके के काम को अंजाम देने के लिए जितने अधिक कार्यबल की आवश्यकता थी, वह किस भारतीय उद्योगपति ने उपलब्ध कराया था।

जो जानते हैं, उन्हें पता होगा कि चुनाव होने के बाद मतों की गिनती के पहले किसी खास कंपनी के लोग शहरों के होटलों में आकर रूके थे और मतगणना संपन्न होने के बाद वापस चले गये। इनलोगों ने उन शहरों में क्या किया, यह मसला भी अब जांच के दायरे में आना चाहिए। कुल मिलाकर अभी तो यह कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी की किस्मत फिलवक्त उनका साथ नहीं दे रही है।

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