जीएसटी काउंसिल की 49वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री का बयान ही यह साबित करता है कि इससे पहले राज्यों को जीएसटी भुगतान के बारे में केंद्र सरकार और भाजपा नेताओँ का बयान सही नहीं थी। इस बैठक में कई फैसले तो लिये गये हैं, जिससे साफ हो गया है कि अब केंद्र सरकार की अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की चिंता सताने लगी है।
इसी क्रम में वित्त मंत्री ने कहा, सभी राज्यों को बकाया मुआवजा जारी कर दिया गया है। केंद्र ने राज्यों को 16,982 करोड़ रुपये जारी किए। जीएसटी काउंसिल की 49वीं बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शामिल हुईं।
जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने आज घोषणा की है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की लंबित शेष राशि का आज तक पूरा भुगतान कर दिया जाएगा। अगर अब भुगतान की बात हो रही है तो पूर्व में जब गैर भाजपा शासित राज्य जीएसटी के बकाये की शिकायत कर रहे थे तो केंद्र सरकार इस आरोप को गलत क्यों बता रही थी।
वैसे भी पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का जीएसटी और नोटबंदी पर दिया गया बयान तो अक्षरशः सही साबित हो चुका है कि इससे देश की अर्थनीति ही गड़बड़ा जाएगी और बिना विचार के अत्यंत जल्दबाजी में सिर्फ श्रेय लेने के लिए नये जीएसटी के प्रावधानों को लागू कर दिया गया है।
दूसरी तरफ ईंधनों के दाम पर लगातार सवाल उठने के बाद भी कोई भी सरकार इसे जीएसटी के दायरे में लाकर जनता को राहत देने की तैयारियों में नहीं हैं। केंद्र वित्त मंत्री के बयान के अनुसार इसे अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जीएसटी मुआवजे की पूरी लंबित शेष राशि जून के लिए कुल 16,982 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी जाएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद ये जानकारी दी। हालांकि यह राशि आज की तारीख में मुआवजा कोष में वास्तव में उपलब्ध नहीं है। यानी केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से राज्यों को मिलने वाला यह पैसा भी अपने हिसाब से खर्च कर दिया है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा है कि हमने इस राशि को अपने संसाधनों से जुटाकर जारी करने का फैसला किया है। इतनी ही राशि भविष्य के मुआवजा उपकर संग्रह से प्राप्त की जाएगी। इस विज्ञप्ति के साथ केंद्र जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम के तहत परिकल्पित सेस की राशि के पिछले पांच वर्षों का बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा। इस दौरान पूरा देश कोरोना की वैश्विक महामारी की आर्थिक तंगी के दौर से गुजरा है।
इसके बीच ही बार बार जीएसटी के बकाये पर चर्चा भी होती रही है। वित्त मंत्री ने कहा, राब (लिक्विड जैगरी) और पेंसिल व शार्पनर पर जीएसटी दरों में कटौती की गई है। वित्त मंत्री ने कहा, सभी राज्यों को बकाया मुआवजा जारी कर दिया गया है। केंद्र ने राज्यों को 16,982 करोड़ रुपये जारी किए। इसके साथ ही पान मसाला, गुटखा पर मंत्रियों के समूह की सिफारिशें मंजूर कर ली गई है। इनपर कैपेसिटी बेस्ड टैक्सेशन लागू करने का फैसला लिया गया है।
इनपर सख्त कंप्लायंस लागू करने की सिफारिश की गई है। जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल पर रिपोर्ट को मंजूर कर लिया गया है। राज्यों के कहने पर इसकी परिभाषा में बदलाव किया जाएगा। वित्त मंत्री के अनुासर राब (लिक्विड गुड़) पर जीएसटी की दर शून्य कर दी गई है। खुले लिक्विड गुड़पर जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर शून्य कर दिया गया है। यानी इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. वहीं पैकेट बंद लिक्विड गुड़ पर जीएसटी की दर 18% से घटाकर 5% कर दी गई है।
पेंसिल और शार्पनर पर जीएसटी दरें 18% से घटाकर 12% कर दी गईं हैं। सीतारमण ने कहा ऑनलाइन गेमिंग पर जीओएम की रिपोर्ट को आज की बैठक में नहीं लिया जा सका क्योंकि ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के अध्यक्ष मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा हैं और वह राज्य में चुनाव के कारण जीएसटी परिषद् की बैठक में शामिल नहीं हो सके।
वित्त मंत्री ने कहा कि एसयूवी की तर्ज पर एमयूवी पर टैक्स लगाने का फैसला फिलहाल टल गया है। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने कहा कि तीन फॉर्मों जीएसटीआर फॉर्म नंबर 4, 9 और 10 पर लेट फीस कम कर दी गई है। इस तरह की राहत पहले जीएसटीआर 1 और 3 के लिए दी गई थी जो कि मासिक रिटर्न हैं। ब इन तीनों फॉर्म पर भी लेट फीस कम कर दिया गया है। देश के करोड़ों छोटे कारोबारियों की इस बात पर परिषद ने विचार तक नहीं किया है कि सरकार से उन्हें भुगतान तीन या चार माह विलंब से मिलता है और हर माह की पंद्रह तारीख को उन्हें पिछले महीने की जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है। जीएसटी परिषद ने एनुअल रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए विलंब शुल्क के रेशनलाइजेशन की भी सिफारिश की है।