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पैन कार्ड के मामले में भी मिलती है छूट
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मिली है छूट
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भारत में विलय के बाद से जारी है प्रावधान
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी: वित्त मंत्री निर्मला र्म सीतारमण ने साल 2023 के यूनियन बजट में सबसे बड़ी राहत टैक्सपेयर्स को दी थी। वित्त मंत्री ने बजट 2023 के दौरान एलान करते हुए सात लाख रुपये सालाना इनकम वालों को टैक्स के दायरे से बाहर कर दिया था।
हालांकि इसका फायदा केवल नए टैक्स रिजीम को चुन ने वालों को ही मिलेगा। भारत में हर उस व्यक्ति को इनकम टैक्स देना पड़ता है जिसकी इनकम एक तय सीमा से ज्यादा होती है। फिलहाल देश में दो तरह के टैक्स रिजीम है। जिसमें एक पुरानी टैक्स व्यवस्था है और दूसरी नई टैक्स व्यवस्था है।
पुराने टैक्स रिजीम के मुताबिक 5 लाख रुपये की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है।वहीं नई टैक्स रिजीम के मुताबिक 7 लाख रुपये की इनकम पर टैक्स छूट का लाभ मिलेगा। इन सभी के बीच देश का एक राज्य ऐसा भी है जहां लोगों को एक रुपये भी इनकम टैक्स के रूप में नहीं देना पड़ता है।
जिस राज्य के लोगों को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है उस राज्य का नाम है सिक्किम. देश के पूर्वोत्तर हिस्से में स्थित सिक्किम राज्य अपनी खूबसूरती के लिए देश और दुनिया में जाना जाता है।इस राज्य के लोगों को टैक्स न देने की छूट मिली हुई है।
खास बात ये है कि इस राज्य के 95 फीसदी लोगों को 1 रुपये भी इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है। इसका कारण ये है कि राज्य के भारत संघ में विलय के वक्त भारत सरकार ने राज्य के लोगों को टैक्स देने से छूट की सुविधा दी थी। राज्य को आर्टिकल 371ए के तहत एक विशेष राज्य का दर्जा मिला है। इस कारण इस राज्य में दूसरे प्रदेश के लोग प्रॉपर्टी भी नहीं खरीद सकते हैं।
वहीं, इस राज्य के मूल निवासियों को इनकम टैक्स 1961 की धारा 10 (26 एएए) के तहत इनकम टैक्स देने से छूट का लाभ मिलता है।इनकम टैक्स की छूट के साथ ही बाजार नियामक सेबी भी सिक्किम के निवासियों को पैन कार्ड के यूज पर छूट दी है।
भारत के अन्य राज्य के लोगों को मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए पैन कार्ड आवश्यक है। लेकिन सिक्किम के लोग बिना पैन कार्ड के भी शेयर मार्केट में निवेश कर सकते हैं। इनकम टैक्स एक्ट के तहत सिक्किम राज्य के मूल निवासियों को इनकम टैक्स भरने से छूट मिली हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद सिक्किम के लोगों को यह छूट मिली हुई है। पहले यह छूट केवल उन लोगों को दी जाती थी जो नागरिकता संशोधन आदेश, 1989 के तहत सिक्किम राज्य के मूल निवासी थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में उन लोगों को भी सिक्किम का मूल निवासी मान लिया जो 26 अप्रैल 1975 यानी सिक्किम के भारत में विलय से एक दिन पहले तक इस राज्य के निवासी थे। जिसके बाद से इस राज्य की लगभग 95 फीसदी आबादी टैक्स के दायरे से बाहर हो गई।