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मुंबई और चेन्नई का तत्काल संकट होगा
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जलस्तर बढ़ने से डूब जाएंगे अनेक इलाके
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करोड़ों लोगों को अपना घर छोड़ना होगा
राष्ट्रीय खबर
मुंबईः संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट की वजह से भारत से वैसे महानगरों पर खतरा बढ़ गया है, जो समुद्र के किनारे स्थित हैं। इनमें मुंबई भी शामिल है और चेन्नई भी इस संभावित खतरे की जद मे तत्काल आ सकता है। देश के तीसरे महानगर कोलकाता भी बाद में इस संकट का सामना कर सकता है।
दरअसल संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट किसी बहुत बड़े खतरे की भविष्यवाणी हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस पर चिंता व्यक्त की। एंटोनियो ने कहा कि समुद्र के स्तर में वृद्धि का मुंबई और न्यूयॉर्क जैसे प्रमुख शहरों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि जलवायु संकट समुद्र के स्तर में वृद्धि का मुख्य कारण है। एंटोनियो ने कहा, समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण मानवता का भविष्य भी अंधेरे में डूब रहा है। समुद्र का स्तर बढ़ना ही एकमात्र खतरा नहीं है। यह कई अन्य खतरे भी लाता है।
दुनिया भर के तटीय क्षेत्रों में करोडों लोग रहते हैं। उनके जीवन पर तथा ठिकाने पर यह खतरा मंडराने लगा है। एंटोनियो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समुद्र के स्तर में वृद्धि पर एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि समुद्र का बढ़ता स्तर न केवल कुछ क्षेत्रों के लिए बल्कि कई देशों के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
उनका दावा है कि वैश्विक समुद्र का स्तर 1900 के बाद से पिछले तीन हजार वर्षों की तुलना में तेजी से बढ़ा है। पिछले 11,000 वर्षों की तुलना में पिछले 100 वर्षों में समुद्र के तापमान में भी काफी वृद्धि हुई है। मौसम वैज्ञानिकों के उपलब्ध आंकड़ों का हवाला देते हुए गुटेरेस ने कहा कि भले ही वैश्विक औसत तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री तक सीमित हो, समुद्र का स्तर बढ़ेगा।
उन्होंने कहा, अगर तापमान में 2 डिग्री की बढ़ोतरी होती है तो समुद्र का स्तर दोगुना हो सकता है। समुद्र का स्तर बढ़ने पर बांग्लादेश, चीन, भारत और नीदरलैंड जैसे देशों को खतरा होगा।
हर महाद्वीप पर प्रमुख तटीय शहर- काहिरा, लागोस, मापुटो, बैंकॉक, ढाका, जकार्ता, मुंबई, शंघाई, कोपेनहेगन, लंदन, लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क और सैंटियागो- बड़े खतरे का सामना करेंगे। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण विभिन्न तटीय क्षेत्रों में रहने वाले 900 मिलियन लोग जोखिम में पड़ सकते हैं। कई घर डूब सकते हैं।