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बोलो बोलो कुछ तो बोलो.. .. ..

भाई साहब पहली बार कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं। उनके साथ साथ उनके नजदीकी भी चुप्पी साधे हुए हैं। दूसरी तरफ जिनकी कोई औकात नहीं थी, वे बढ़ चढ़कर बोल रहे हैं। इस चक्की में बेचारे अडाणी जी पिस रहे हैं। गनीमत है कि कल शेयर बाजार में थोड़ी सुधार दिखी और उन्होंने अमेरिका में अपनी देनदारियों को सही समय पर चुका भी दिया।

लेकिन इस एक झंझट ने भाजपा को पहली बार बहुत बड़ी चुनौती के सामने खड़ा कर दिया है। अब अमेरिका की छोटी सी कंपनी की एक रिपोर्ट भी देश में इतना बवाल खड़ा कर सकती है तो हमें फिर से आत्ममंथन की भी जरूरत है। गनीमत है कि कई संबंधित पक्षों के साथ साथ वित्त मंत्री की सफाई आयी है।

वरना पता नहीं शेयर बाजार का क्या हाल हुआ होता। जब से अडाणी समूह को लेकर हिंडनबर्ग का सर्वेक्षण आया है, विपक्ष के निशाने पर सरकार आ गई है। विपक्षी दलों की मांग है कि इस मामले में सरकार जवाब दे। इस हंगामे के चलते संसद का बजट सत्र बार-बार स्थगित करना पड़ा। कामकाज बाधित रहे।

हालांकि अडाणी समूह इस मामले में लगातार सफाई देने और अपनी स्थिति सुधारने में जुटा हुआ है, मगर शेयर बाजार में उसकी कंपनियों के शेयर लगातार नीचे की तरफ रुख किए हुए हैं। दुनिया के तीसरे नंबर के सबसे अमीर उद्यमी के पायदान से खिसक कर अडाणी शीर्ष बीस की सूची से भी नीचे चले गए हैं।

ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर तरह-तरह की चिंताएं जताई जाने लगी हैं। सबसे अधिक भ्रम आम निवेशकों में फैला हुआ है, जिन्होंने विभिन्न सरकारी संस्थानों में पैसे निवेश किए हैं। हिंडनबर्ग का कहना है कि अडाणी समूह ने धोखाधड़ी करके अपनी कंपनियों के लिए सरकारी बैंकों से कर्ज लिया है और उनके शेयरों की कीमतें गलत ढंग से बढ़ा-चढ़ा कर पेश की गई हैं, जबकि वास्तव में उनका मूल्य काफी कम है।

विपक्ष इसलिए सरकार पर हमलावर है कि उसका कहना है कि सरकार की सहमति से ही अडाणी समूह की कंपनियों को कर्ज दिए गए हैं। फिर यह कि जिन बैंकों ने कर्ज दिया, उन्होंने अडाणी समूह की कंपनियों की वास्तविक हैसियत का मूल्यांकन किए बिना आंख मूंद कर इतनी भारी रकम कैसे उनमें लगा दी। सवाल यह भी उठ रहा है कि प्रतिभूति बाजार में हुई गड़बड़ियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी सेबी की है, वह कैसे और क्यों अपनी आंखें बंद किए बैठा रहा।

इसी बात पर एक काफी पुरानी फिल्म का गीत याद आने लगा है। फिल्म दिल देके देखो के इस गीत को लिखा था मजरूह सुलतानपुरी ने और इसे स्वर दिया था मोहम्मद रफी ने। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।

बोलो बोलो कुछ तो बोलो

प्यार हो तो कह दो यस प्यार नहीं तो कह दो नो
प्यार हो तो कह दो यस प्यार नहीं तो कह दो नो
फिर जो हो हो सो हो हो हो फिर जो हो हो सो हो हाय
प्यार हो तो कह दो या

काहे को नज़र घबराई सी है महफ़िल भी है तनहाई भी है
काहे को नज़र घबराई सी है महफ़िल भी है तनहाई भी है
छुपे छुपे तुम रुके रुके हम, सोचो ज़रा
बोलो बोलो कुछ तो बोलो दिल न तोड़ो गुस्सा छोड़ो
ठोकर लगे न सम्भालो सनम
प्यार हो तो कह दो यस प्यार नहीं तो कह दो नो
फिर जो हो हो सो हो हो हो फिर जो हो हो सो हो हाय
प्यार हो तो कह दो या

कहाँ चले जी ज़रा हाल सुनो किसी दिलवाले का सवाल सुनो
कहाँ चले जी ज़रा हाल सुनो किसी दिलवाले का सवाल सुनो
कहाँ खड़े तुम यहाँ खड़े हम सोचो जरा
बोलो बोलो कुछ तो बोलो दिल न तोड़ो गुस्सा छोड़ो
अब तो निगाहें मिलालो सनम
प्यार हो तो कह दो यस प्यार नहीं तो कह दो नो
फिर जो हो हो सो हो हो हो
फिर जो हो हो सो हो हाय प्यार हो तो कह दो या

आप की अदाओं का हिसाब नहीं लाखों में हमारा भी जवाब नहीं
आप की अदाओं का हिसाब नहीं लाखों में हमारा भी जवाब नहीं
कम नहीं तुम कम नहीं हम

सोचो ज़रा
बोलो बोलो कुछ तो बोलो दिल न तोड़ो गुस्सा छोड़ो
ऐसे न आँचल छुड़ालों सनम

प्यार हो तो कह दो यस प्यार नहीं तो कह दो नो
फिर जो हो हो सो हो हो हो फिर जो हो हो सो हो हाय
प्यार हो तो कह दो या

दरअसल हमला इसलिए भी हो रहा है कि राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के साथ बात चीत में इस बात का संदेह जाहिर किया था।

दूसरी तरफ बात बात पर त्वरित बयान देने वाले भाजपा नेता इस पर संसद के भीतर भी चर्चा से भाग रहे हैं। संदेह सही है या गलत पता नहीं। लेकिन शेयर बाजार में जो कुछ हुआ और हो रहा है वह तो सच्चाई है। इसलिए तो कह रहा हूं बोलो बोलो कुछ तो बोलो।

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